दिल टूट जाता है-सीमा

 वर्ष 3 अंक 1 जनवरी से मार्च 2021

 Rose Day


हर दिन तोड़ा जाता है गुलों को,
जब होता है कोई अवसर ख़ास l
पर गुलाब-दिवस के अवसर पर,
लाल गुलाब टूटते हैं बेहिसाब l
प्रेमिका गुलाब स्वीकारे तो ठीक,
नहीं तो दिल टूट जाता है ज़नाब l
दिल की बात बताने का अजब है रिवाज़,
काश! हम सुन पाते फूलों की भी आवाज़।
उन्हें असमय डाली से जुदा करके,
देखते हैं किसके लिए किसका दिल धड़के।
मन न माना तो पूछ ही लिया मैंने एक फूल से,
तुम कैसे दूसरों के लिए इतना दुःख हो सहते?
मुझे देखकर वह मुस्कुराया और उसने बताया,
मेरी तो नियति ही है खिलना-टूटना-बिखरना।
पर मैं ख़ुश हूँ कि हूँ मैं इतना विशिष्ट,
कि मुझे बनाया सबने प्रेम का प्रतीक।
दूसरों को ख़ुशियाँ देकर ही ख़ुश होता हूँ,
औरों के लिए मैं ख़ुशी से ख़ुद को खोता हूँ।
सुनकर उस पुष्प की भावाभीव्यक्ति,
मुझे लगा काश! ऐसा ही होता हर व्यक्ति।
अपनी छुद्र मानसिकता से उठता ऊपर,
अपने नेक कर्मों से छा जाता सबके दिल पर।

सीमा रानी मिश्रा, हिसार 


 

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