पत्‍थर-निरूपमा

 वर्ष-:3 अंक -: 1 जनवरी 2021 से मार्च 2021
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 ठोकर लगा कर
 मुस्कुराया पलभर
 रास्ते का पत्थर
कुछ देर  ठिठककर
दर्द से कराह कर
अश्रु पोंछकर
लेकर संगत का असर
पत्थर दिल बनकर
चल पड़ा मगर
फूल मुस्कुरा कर
फिर उसी राह पर
कोशिश अब के रही
उसकी पर बेअसर
 वेदना सहकर
रास्ते का पत्थर
पूरी शब भर
 रोया यूं सोचकर
फूल को क्यों कर
बना दिया पत्थर
संगति का असर
फूल बना पत्थर
 पत्थर बना फूल
समझा वह अपनी भूल!
मगर फूल!!
रहा कहां फूल!!


निरुपमा त्रिवेदी , इंदौर


 

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