मन धीर- मीना अरोड़ा

 

वर्ष 3 अंक 1 जनवरी से मार्च 2021

 मन धीर धरा
सागर सा हो चला है
इसके तल में छिपी
ख्वाहिशें
आज भी
ऊंचा उठ
लबों की दहलीज को
पार कर
तूफां मचाना चाहती हैं
मैं खामोश
इन्हें ताकती हूं
फिर....
इनकी बेबसी पर
मंद मुस्कुरा कर
कहती हूं-
थोड़ा ओर ठहर जाओ
अभी जिंदगी में
इम्तेहान बाकी हैं।।

मीना अरोड़ा


 

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