मैं नारायण -संतोष शर्मा

 वर्ष 3 अंक 1 जनवरी से मार्च 2021
प्रपोज डे  

बांकेबिहारी मंदिर का पूरा प्रांगण भक्तों से खचाखच भरा था  | इतनी भीड़ में धक्के लगना तो स्वाभाविक है   इधर जयकारों की गूँज तो उधर सनेह बिहारी हाल में   श्री मद्भभागवतगीता  का पाठ-प्रवचन  ' कोई किसी की सुनें भी तो कैसे  ! यदि भक्तों को कुछ सुनाई दे रही थी तो वह थी प्रवचन के मधुर ज्ञानवर्धक शब्द और  " बांकेबिहारी लाल की जय  "  की गूँज   तभी मेरे पीछे किसी के मोबाइल फोन की घंटी बजी उसने फोन उठाया और औपचारिकता के बाद आगे पीछे धक्के खाते जयकारों के बीच वह बातें करने लगा तभी उसकी एक बात मेरे कानों में पड़ी  " अरे यार   ! काहे का प्रपोज डे  !! यहाँ ठाकुर जी को प्रपोज करुंगा तो जीवन भर और मृत्यु के बाद भी साथ देंगे....... इन दुनिया वालो का क्या भरोसा  !?
उसकी बातें संत के प्रवचन की तरह सत्य थी |
मैंने देखा बांकेबिहारी जी की छवि, वो सुंदर नैन हर भक्त के मन को आनंदित कर रहीं थी सहसा मेरे मन में भी एक प्रश्न उठा  " क्यूँ ना मैं भी इन्हीं का साथ मांग लूं  !? "
और मैने दोनों हाथ जोड़ लिये  " हे गोविन्द  ! साथ दोगे मेरा    !???
 तभी  प्रवचन के यह शब्द मेरे कानों में पडे
 " तुम सत्य को मानकर मुझे थाम लो... मैं नारायण सदैव तुम्हारा हूँ  "
मुझे उत्तर मिल गया |
सच ही तो है  !  दुनिया में किसी इंसान को प्रपोज करोगे तो वह किसी ना किसी स्वार्थ से आपका साथ देगा किंतु एक यही दरबार है यही एक नाम और शक्ति है जो एक बार हाथ थामने के बाद हमेशा आपका साथ देता है अनंत से अंत तक और पुनः अंत से अनंत तक  |


संतोष शर्मा  " शान  "
हाथरस ( उ. प्र.  )

 


 

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