वर्ष 3 अंक 1 जनवरी से मार्च 2021
शहर के गिफ्ट पैलेस पर आज काफी भीड़ थी एक हाथ में मोबाइल और दूसरे हाथ से अनगिनत गिफ्ट पसंद करते युवा ' पैलेस के अंदर से हर पांच मिनट में गिफ्ट का एक खाली डिब्बा बाहर फेंका जा रहा था |वहीं करीब आठ दस वर्ष का कचरा बीनने वाला लडका अपनी बोरी में उन खाली पुट्ठे के डिब्बों को उठा उठा कर भरता जा रहा था और बीच बीच में उस पैलेस से गिफ्ट लेकर बाहर निकलते युवाओं को आश्चर्य से देखने लगता , मानों वह इतनें सारे खिलौनों को आज ही खरीदने का कारण पूछ रहा हो |
तभी अंदर से एक खूबसूरत सी लड़की प्यारा सा पपी टेडी लेकर निकली उसे देख कर वह लडका अपनी दोनों भौंहे चढाकर मुस्कुराने लगा और जैसे ही उस मुस्कान पर उस लड़की की नज़र पडी पता नहीं क्यूँ उसके होंठो पर भी मुस्कान फैल गई |वह कचरा बीनने वाला लडका लगातार उसे देख कर मुस्कुराये जा रहा था ' उस लड़की को लगा शायद इसे यह टेडी पसंद आ गया है उसने मुस्कुराते हुए टेडी उसकी तरफ बढा़या और इशारे में पूछा " तुम्हें चाहिए !??
वह लडका बिना कुछ प्रतिक्रिया दिये यूँ ही खड़ा मुस्कुराता रहा.उस खूबसूरत लड़की ने सोचा बेचारे गरीब बच्चों को कहाँ नसीब होतें है खिलौने...... उसने पास जाकर वह टेडी उसके हाथों में थमा दी | वह लडका बहुत खुश हुआ थोड़ी देर उस टेडी को घुमा घुमा कर देखने के बाद उस लड़की को वापस दे दिया और उसका दुपट्टा पकड़ कर खींचता तेजी से आगे आगे चलने लगा उसके एक हाथ में कचरे की बोरी और दूसरे में उस खूबसूरत लड़की का दुपट्टा |
वह बोली " अरेरे कहाँ ले जा रहे हो मुझे..... सुनो तो.. "
लेकिन वह दुपट्टा पकड़े उसे एक गली के मोड़ पर ले आया और कचरे की बोरी जमीन पर रखकर अपने मुंह से सीटी बजाने लगा वह कुछ कहती इससे पहले ही करीब पांच _छै सुंदर सुंदर लाल , काले , सफेद , चितकबरे पिल्ले आकर उस लडके से लिपटने लगे और उसने जैसे ही अपनी कचरे वाली बोरी से कुछ खाने की चीजें निकाल कर डाली वे सभी कूं कूं कूंईं कूंईं करते खाने लगे और वह मंद मंद मुस्कुराता हुआ उन पिल्लों को बडे प्यार से सहला रहा था |उस लड़की की समझ में कुछ नहीं आ रहा था वह तो बस हाथ में टेडी लिए ठगी सी निशब्द उसे देख रही थी |
संतोष शान
हाथरस ( उ. प्र. )
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