पालनहार-अलका

वर्ष 3 अंक 1 जनवरी से मार्च 2021

बात काफ़ी समय पुरानी है ..राजू और गोलु दो दोस्त थे और पड़ोसी भी राजू ने अपने दरवाज़े के बहार काफ़ी पौधे लगायें थे उसे पौधों से बहुत प्यार था , वह पौधों की सम्भाल बच्चों की तरह करता था । जब वह पौधों को खाद पानी देता , मिट्टी खोद कर पोला करता , तब गोलु भी उसके पास बैठकर बातें करता रहता , राजु ने फूलो के साथ , आम पेरु चीकू के पेड भी लगाये , पेड धीरे धीरे बड़े होने लगे अब उनकी घनी छाया गोलु के घर भी पड़ने लगी , दोनों दोस्त पेड के नीचे बैठकर सुख  -दुख  बाटते , भविष्य की योजना बनाते काफ़ी समय बीता पेड़ों मे फल आने लगे , अब दोनों झगड़ने लगे मेरा पेड है, मे ही फल लुगा , मैं राजू ने कहा में सेवा करता था मैने लगाये है , मेरा अधिकार है । . गोलू मैं देखता था तेरा मन बहलाता था बात करता था कभी तुम मन लगा कर सेवा कर पाते थे , मेरा अधिकार है इन पर ,झगड़ा जब काफ़ी बढ़ गया तो वो संरपंच के पास गये , दोनों का कहना था पेड हमने लगाये है फल हम ही लेंगे , संरपच सोच में पड़ गया फिर एक तरकीब निकाली  बोला ऐसा करते है सारे पेड कटवा देते है लकड़ी बेच देंगे न रहेगा बास न बजेगी बाँसुरी , तब राजु बोला संरपच जी आप पेड न कटवायें  सारे फल गोलु को दे दे , संरपंच ने हुक्म दिया कि पेड राजु ने लगाये है फलो पर उसका अधिकार है ।
पालन -पोषण करने वाला
कभी क्षति नही पहुँचाता ।वह देख भाल करता है परवरिश करता है वह नुकशान नही कर सकती उन पेड़ों पर सिर्फ राजू का अधिकार है वो चाहे तो गोलू को कुछ फल खाने को दे सकता है यह राजू की मर्ज़ी पर है ।
वह जो चाहे करे ....


अलका पाण्डेय:-:अग्निशिखा मंच—9920899214


 

8369853084

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