ग़जल*
मेरे दिल की है दुआ कि मुझे दुआ न लगे।
तेरे दिए ज़ख्मों पर मेरे कोई दवा न लगे।।
मुझको तू न हुआ मुकम्मल तो कोई बात नहीं।
कम से कम तेरा मुझे दर्द तो ता उम्र मिले।।
मेरे मालिक बस इतनी सी है इल्तज़ा मेरी।
मुझे दुनिया जहान की कभी हवा न लगे।।
चाहे इंसान को तू उम्र भर तन्हा रखना ।
दुआ है कि सनम किसी को बेवफ़ा न मिले।।
भले कुछ ना मिले अच्छाइयों के बदले यहां।
वफ़ा के बदले किसी को यहां ज़फ़ा न मिले ।।
प्यार देना न हो तो दिल ना बनाना बेशक।
किसी को प्यार करने की यहाँ सजा न मिले।।
राघवेंद्र सिंह 'रघुवंशी'
पत्योरा हमीरपुर उत्तर प्रदेश
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