हमारा नजरिया ही हमारी सोच पर निर्भर है-रोहित

वर्ष-:3 अंक -: 1 जनवरी 2021 से मार्च 2021

विज्ञापन एस एस बिजनेश हब अपनी वेबसीरीज एवं विज्ञापन की SS Film & Modeling HuB  प्राइवेट लिमिटेड कम्‍पनी की स्‍थापना *महिला उत्थान दिवस 02 अप्रैल 2021 को करने जा रहा है।  यह कम्‍पनी अपने मनोरंजक, ऐतिहासिक, लाइफ स्टाईल एवं देश-दर्शन पर आधारित  बेवसीरिज ,डाकुमेंन्‍ट्री ,विज्ञापन फिल्‍म एवं शार्ट फिल्‍मों के लिए पुरूष एवं महिला कलाकारों का चयन करने जा रहा है *प्रथम चरण में महिला कलाकारों एवं माडलो का चयन होगा।   चयनित को सुवधिाओं के साथ साथ परिश्रमिक भी दिया जायेगा। *जिन महिलाओं को इनमें रूची हो  7068990410 पर वाटस्‍एप मैसेज करें।

 

 

मारी सोच पर निर्भर होता है कि हमारा नजरिया क्या होगा ? क्योकि हम जिस सोच और नजरिये से सामने वाले को देखेगे वो हमे वैसा ही दिखेगा। अगर हम किसी व्यक्ति की अच्छाईयों पर अपना ध्यान केन्द्रित करेगे तो हमें उस व्यक्ति  की अच्छाईयों की जानकारी होगी। और अगर हम किसी व्यक्ति की कमियो को ढूड़ने का प्रयास करेगे तो हमें उसकी कमिया और बुराईयो की जानकारी होगी। यानि ये हमारे ऊपर निर्भर है कि हम इस जगत को, जगत के प्राणियों को, जगत के जीव- जंतु, जगत के पेड़ पौधो तथा इस जगत की हर सजीव- निर्जीव वस्तु को किस दृष्टि से देख रहे है ?
अगर हमे कोई कुरुप, भद्दा या गंदा दिख रहा है तो इसका अर्थ यह नही कि वो सामने वाला कुरुप, भद्दा और गंदा है। क्योकि यह हमारी दृष्टि दोष की समस्या है कि हम सामने वाले की सुंदरता को नही ढूड़ पा रहे है। इसको हम एक उदाहरण के तौर पर समझ सकते है - हमने एक रुपये का सिक्का मेज के बीच में रख दिया है और उसके चारो ओर कुछ व्यक्तियों को खड़ा कर दिया गया है। अब वह सिक्का एक व्यक्ति को त्रिभुजाकार दिख रहा है तो एक व्यक्ति को आयताकार दिख रहा है तो किसी को चौड़ा दिख रहा है तो किसी को लंबा दिख रहा है। यानि हर व्यक्ति उस सिक्के को जिस नजरिए से देख रहा उसे वह सिक्का उसी प्रकार दिख रहा है। इसका अर्थ यह नही कि सिक्का त्रिभुजाकार, आयताकार, लंबा या चौड़ा हो जाएगा। सिक्का तो गोल ही रहेगा।सही अर्थो में सामने वाला कुरुप नही है, बल्कि यहाँ हमारी सोच कुरुप होती है।अक्सर हम सभी कमजोर श्रवणशक्ति वालो को देखकर मुस्करा कर देते है। हम यह नही समझते कि हम कर क्या रहे है ? हम किस पर हँस रहे है ? हम किसका अपमान कर रहे है ?
हम ये जानते है कि सृष्टि का निर्माण परम परमेश्वर ने ही किया है और परम परमेश्वर ने ही हम सभी मनुष्य जातियो का भी निर्माण किया है, और उसी ने हमे लंबा, चौड़ा, गोरा,काला, संवाला आदि प्रकार की कलाओ से विभूषित किया है। यानि उसी परमात्मा ने ही किसी को कुरूप या कम श्रवणशक्ति का भी बनाया है। यानि लोगो की कमिया ढूड़ने का अर्थ है परम परमेश्वर की चित्रकला , सौन्दर्यकला में कमियाँ ढूड़ना। एक विकृत मनुष्य का उपहास उड़ाना यानि परमेश्वर की कला का उपहास उड़ाना। यानि परम परमेश्वर का अपमान करना।कहने का आशय यह है कि हम इस सृष्टि को किस नजरिए से देखते है ? हम इस सृष्टि को जिस नजरिए से देखेगे हमे वह सृष्टि उसी नजरिए से दिखेगी।
अभी हाल में आई उत्तराखंड आपदा के लिए हम उस परम परमेश्वर को किसी भी प्रकार से दोषी नही ठहरा सकते है। उत्तराखंड में आई आपदा परम परमेश्वर की इच्छा से नही बल्कि वनो की अंधाधुंध कटाई, बड़े-बड़े विशाल बांधो से। यानि प्रकृति का अंधाधुन शोषण से हुई है। ये थार का मरुस्थल, ये साहारा का रेगिस्तान ईश्वर की देन नही है। बल्कि ये मनुष्य के क्रियाकलापों की देन है।कहने का आशय यह है हमारी सोच ही हमारा नजरिया तय करती है। यानि ये हम पर निर्भर है कि हम इस सृष्टि को किस नजरिए से देखते है ? हम जिस नजरिए से इस सृष्टि को देखते है।हम उसी दृष्टि से इस सुंदर सृष्टि को रुपांतरित करने की चेष्टा करते है।


रोहित मिश्र, प्रयागराज, उत्तरप्रदेश
मोबाइल नंबर 752336082

 


 

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