होली तब और अब-लीला कृपलानी

  वर्ष-:3 अंक -: 1 जनवरी 2021 से मार्च 2021

विज्ञापन- एस एस बिजनेश हब अपनी वेबसीरीज एवं विज्ञापन की SS Film & Modeling HuB  प्राइवेट लिमिटेड कम्‍पनी की स्‍थापना *महिला उत्थान दिवस 02 अप्रैल 2021 को करने जा रहा है।  यह कम्‍पनी अपने मनोरंजक, ऐतिहासिक, लाइफ स्टाईल एवं देश-दर्शन पर आधारित  बेवसीरिज ,डाकुमेंन्‍ट्री ,विज्ञापन फिल्‍म एवं शार्ट फिल्‍मों के लिए पुरूष एवं महिला कलाकारों का चयन करने जा रहा है *प्रथम चरण में महिला कलाकारों एवं माडलो का चयन होगा।   चयनित को सुवधिाओं के साथ साथ परिश्रमिक भी दिया जायेगा। *जिन महिलाओं को इनमें रूची हो  7068990410 पर वाटस्‍एप मैसेज करें।

कविता
      
       रंग अबीर उड़ा कर हमने,
अनगिन होली खेली हैं,
प्रेम से गले लगा कर हमने
खुशियां सबको दे दी हैं।
  . पर इस बार लगता क्यों?
. . फूल से मुखड़े मुरझाए हैं
    चंग मृदंग की धाप है धीमी
     फागुन के रंग न भाये हैं।
मिष्ठान्नों की भीनी खुशबूक्यों
घरों से हुई तिरोहित है
नैना सबके बुझे बुझे क्यों?
करुण कहानी सी कहते हैं।
सहमे सहमे से तरुणों की,
एक विवशता झांक रही क्यों
वृद्धावस्था बुझे ह्रदय से
हर बीता क्षण आंक रही क्यों?
    आओ हम सब मिलकर,
     बुझे दियों कोआज जलाएं
     रूठी बैठी भोर किरन को,
     हर द्वारे जाकर पहुंचाएं।
वर्तमान में विश्वासों का हम,
जाकर आसव आज पिलाएँ
रोती आँखों के अश्रु पोंछकर
होली हम फिर से मंगलांयें।


   यह मेरी मौलिक और अप्रकाशित रचना है
....लीला कृपलानी(जोधपुर)


 

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