रिक्‍शे वाले-अजय मोटवानी

 वर्ष-:3 अंक -: 1 जनवरी 2021 से मार्च 2021

विज्ञापन एस एस बिजनेश हब अपनी वेबसीरीज एवं विज्ञापन की SS Film & Modeling HuB  प्राइवेट लिमिटेड कम्‍पनी की स्‍थापना *महिला उत्थान दिवस 02 अप्रैल 2021 को करने जा रहा है।  यह कम्‍पनी अपने मनोरंजक, ऐतिहासिक, लाइफ स्टाईल एवं देश-दर्शन पर आधारित  बेवसीरिज ,डाकुमेंन्‍ट्री ,विज्ञापन फिल्‍म एवं शार्ट फिल्‍मों के लिए पुरूष एवं महिला कलाकारों का चयन करने जा रहा है *प्रथम चरण में महिला कलाकारों एवं माडलो का चयन होगा।   चयनित को सुवधिाओं के साथ साथ परिश्रमिक भी दिया जायेगा। *जिन महिलाओं को इनमें रूची हो  7068990410 पर वाटस्‍एप मैसेज करें।

 कहानी

एक बार एक अमीर आदमी कहीं जा रहा होता है तो उसकी कार ख़राब हो जाती है। उसका कहीं पहुँचना बहुत जरुरी होता है। तो उसको दूर एक पेड़ के नीचे एक रिक्शा दिखाई देता है। वो उस रिक्शे वाले के पास जाता है। वहाँ जाकर देखता है कि रिक्शा वाला अपने रिक्शे पर अपने पैर हैंडल के ऊपर रखे हुए है। पीठ उसकी अपनी सीट पर होती है और सिर जहा सवारी बैठती है उस सीट पर होती है । और वो मज़े से लेट कर गाना गुन-गुना रहा होता है। वो अमीर व्यक्ति रिक्शा वाले को ऐसे बैठे हुए देख कर बहुत हैरान होता है कि एक व्यक्ति ऐसे बेआराम जगह में कैसे चैन से खुश रह सकता है।  वो उसको चलने के लिए बोलता है। तो रिक्शा वाला झट से उठता है और उसे 20 रूपए किराया बोलता है।
रास्ते में वो रिक्शा वाला  गाना गुन-गुनाते हुए मज़े से रिक्शा खींचता है। वो अमीर व्यक्ति एक बार फिर हैरान कि एक व्यक्ति 20 रूपए लेकर इतना खुश कैसे हो सकता है। इतने मज़े से कैसे गुन-गुना सकता है। वो थोडा ईष्यालु हो जाता है और रिक्शा वाले को समझने के लिए उसको अपने बंगले में रात को खाने के लिए बुला लेता है। रिक्शा वाला उसके बुलावे को स्वीकार कर लेता है। वो अपने हर नौकर को बोल देता है कि इस रिक्शे वाले को सबसे अच्छे खाने की सुविधा दी जाए। अलग अलग तरह के खाने के वेरायटी दी जाती है। सूप्स, आइस क्रीम, गुलाब जामुन सब्जियां यानि हर चीज वहाँ मौजूद थी।
  वो रिक्शा वाला खाना शुरू कर देता है, कोई प्रतिक्रिया, कोई घबराहट बयान नहीं करता। बस  गाना गुन-गुनाते हुए मजे से वो खाना खाता है। सभी लोगो को ऐसे लगता है जैसे रिक्शे वाला ऐसा खाना पहली बार नहीं खा रहा है। पहले भी कई बार खा चुका है। वो अमीर आदमी एक बार फिर हैरान एक बार फिर हैरान हो जाता है, कि कोई आम आदमी इतने ज्यादा तरह के व्यंजन देखकर और खाकर भी कोई हैरानी वाली प्रतिक्रिया क्यों नहीं देता है ? और वो जैसे रिक्शे में गाना गुन-गुना रहा था। वैसे ही गाना गुनगुनाए जा रहा था। यह सब कुछ देखकर अमीर आदमी की ईष्या से भर जाता है।
अब वह रिक्शे वाले को अपने बंगले में कुछ दिन रुकने के लिए बोलता है। रिक्शा वाला हाँ कर देता है।   उसको बहुत ज्यादा इज्जत दी जाती है। कोई नौकर उसको जूते पहना रहा होता है, तो कोई नौकर कोट। एक बेल बजाने से तीन-तीन नौकर सामने आ जाते है। एक बड़ी साइज़ की टेलीविज़न स्क्रीन पर उसको प्रोग्राम दिखाए जाते है। और एयर-कंडीशन कमरे में सोने के लिए बोला जाता है। अमीर आदमी नोट करता है कि वो रिक्शा वाला इतना कुछ देख कर भी कुछ प्रतिक्रिया नहीं दे रहा। वो वैसे ही साधारण चल रहा है। जैसे वो रिक्शा में था वैसे ही है। वैसे ही गाना गुन-गुना रहा है जैसे वो रिक्शा में गुन-गुना रहा था।
  अमीर आदमी की ईष्या बढ़ती ही चली जाती है और वह सोचता है कि अब तो हद ही हो गई। इसको तो कोई हैरानी नहीं हो रही, इसको कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा। ये वैसे ही खुश है, कोई प्रतिक्रिया ही नहीं दे रहा है। अब अमीर आदमी पूछता है: आप खुश हैं ना? वो रिक्शा वाला कहता है: जी साहेब बिलकुन खुश हूँ।  अमीर आदमी फिर पूछता है: आप आराम में  हैं ना ? रिक्शा वाला कहता है: जी बिलकुन आरामदायक हूँ।
 अब अमीर आदमी तय करता है कि इसको उसी रिक्शा पर वापस छोड़ दिया जाये। वहाँ जाकर ही इसको इन बेहतरीन चीजो का एहसास होगा। क्योंकि वहाँ जाकर ये इन सब बेहतरीन चीजो को याद करेगा।  अमीर आदमी अपने सेक्रेटरी को बोलता है की इसको कह दो कि आपने दिखावे के लिए कह दिया कि आप खुश हो, आप आरामदायक हो। लेकिन साहब समझ गये है कि आप खुश नहीं हो आराम में नहीं हो। इसलिए आपको उसी रिक्शा के पास छोड़ दिया जाएगा।” सेक्रेटरी के ऐसा कहने पर रिक्शा वाला कहता है: ठीक है सर, जैसे आप चाहे, जब आप चाहे।
  उसे वापस उसी जगह पर छोड़ दिया जाता है जहाँ पर उसका रिक्शा था।  अब वो अमीर आदमी अपने गाड़ी के काले शीशे ऊँचे करके उसे देखता है।  रिक्शे वाले ने अपनी सीट उठाई बैग में से काला सा, गन्दा सा, मेला सा कपड़ा निकाला, रिक्शा को साफ़ किया, मज़े में बैठ गया और वही गाना गुन-गुनाने लगा। अमीर आदमी अपने सेक्रेटरी से पूछता है: “कि चक्कर क्या है। इसको कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा इतनी आरामदायक, इतनी बेहतरीन जिंदगी को ठुकरा कर वापस इस कठिन जिंदगी में आना और फिर वैसे ही खुश होना, वैसे ही गुन-गुनाना।”  फिर वो सेक्रेटरी उस अमीर आदमी को कहता है: “सर यह एक संतुष्ट इन्सान की पहचान है। एक संतुष्ट इन्सान वर्तमान में जीता है, अधिक की चाह में में अपना वर्तमान खराब नहीं करता है।
 अगर उससे भी बढ़िया जिंदगी उसे मिल गई तो उसका भी स्वागत करता है उसको भी जी भर जीता है और  वर्तमान को भी ख़राब नहीं करता। और अगर जिंदगी में दुबारा कोई बुरे दिन देखने पड़े तो वो भी उस बुरे समय को भी उतने ही ख़ुशी से, उतने ही आनंद से, उतने ही मज़े से, जीता है ,और उसी में आनंद लेता है।”कामयाबी आपके ख़ुशी में छुपी है, और अच्छे दिनों की उम्मीद में अपने वर्तमान को ख़राब न करें।


स्वरचित, मौलिक अप्रकाशित

अजय मोटवानी
तिजारा अलवर (राजस्थान)
मोबाइल नंबर 9602090264

 


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2 टिप्पणियाँ

बेनामी ने कहा…
बहुत ही सुंदर लघुकथा 💐🙏
Rohit Mishra ने कहा…
भाई साहब ने बहुत ही सुंदर लिखा है।