ओपी सुनीता के जितने बहुत ही करीबी, एक थाली में खाने वाले होगे उतने तो ...............




गहमर..कुछ दिनो से मेडिकल स्टोरो पर भारी भीड़़ देख रहा था। पहले तो सब नार्मल लगा, परन्तु समय के साथ शक बढ़ता गया। एक दिन रात में मैनें सूर्या हास्पिटल , डा. छोटे लाल सिंह से बात किया।
डा. संजीव ने तो साफ कहा कि गहमर में कोरोना आ ही नहीं गया बल्कि दौड़ रहा है। इलाज के लिए आक्सीजन  मिलना मुश्किल हो रहा है, परन्तु यह भी कहा कि एक दो दिन में सिलेंडर मिल जायेगा।हम तैयार भी हैं। लेकिन  आपको भी तैयार होना होगा अपनी प्रतिरोरक क्षमता बढ़ाने के लिए, साथ ही आप को अपने घरों में रहना होगा सुरक्षित, क्‍योंकि आप की सुरक्षा ही आपका बचाव है। उन्‍होंने साफ कहा कि आप अपने संबंधों, अपनी पहुँच, अपने पैसे का अहंकार न पाले कि आपको आसानी से चिकित्‍सा सुविधा मिल जायेगी,। डाक्‍टर लाचार हैं, संधासन सीमित है।  बचाव करें। पैनिक मत हो।
डा. छोटे लाल सिंह से बात करने पर उन्होनें कहा कि हर साल से अधिक सर्दी, खाँसी, बुखार के मामले आ रहे हैं लेकिन केवल संख्या के आधार पर बिना जाँच के हम कोरोना नहीं कह सकते, क्योंकि इस  बढ़ी स़ख्या के पीछे दो और कारण  हो सकते हैं।पहला कि 45 साल से ऊपर के लोगो को वैक्सीन लगी है, वैक्सीन लगने के बाद बुखार और कमजोरी होती ही है जो एक दो दिन किसी किसी में तीन दिन तक रहती है, लोग इस कदर डरे हैं कि बुखार आते ही वह दवा खरीदने लग रहे हैं।
दूसरा कारण यह हो सकता है कि  यह मौसम ही वायरल बुखार, सर्दी खाँसी का है,  जिसको पकड़ा 8-9 दिन परेशान करता है, इस वायरल के मौसम में इस साल अन्तर यह है कि स्कूल-कालेज व कई कार्यालय बंद होने , देश के विभिन्न भागो में लाकडाउन लगने एवं पंचायत चुनाव होने से लगभग 15 से 20 % आबादी भी बढ़ी है।
लेकिन आधार पर कोरोना नहीं हैं यह सिरे से नकारना भी मुशकिल है। हॉं सॉंस उखड़ने वाले रोगीयों की संख्‍या जरूर कम है।
इस संबंध में गहमर के रधु मेडिलक,फिरोज मेडिकल, राम दयाल मेडिकल, चौरसिया मेडिकल ने भी स्‍वीकार किया कि हर साल की अपेक्षा इस साल मार्च व अप्रैल माह में रोगीयों की संख्‍या दो गुनी तक अधिक हो गई। जिसमें अधिकाशं को सर्दी खासी जुखाम बुखार हो रहा है।
अगर हम सरकारी तंत्र की बात करें तो गहमर में स्थित प्राथमिक स्‍वास्‍थ केंन्‍द्र किसी भी समस्‍या से निपटने के लिए तैयार नहीं है, समस्‍या चाहे छोटी हो या बढ़ी। ऐसे में यदि गहमर में यह महामारी फैली तो शायद रोगी को आइसुलेट होने की जगह और उचित चिकित्‍सा सेवा  नहीं मिल पायेगी।
ऐसे में कोई योगी मोदी की तरफ देखे तो मुर्खाता ही होगी। कोई सुनीता सिंह, ओमप्रकाश सिंह के सहारे इलाज पाने की सोचें तो वह उसकी मुर्खाता होगी, क्‍योंकि जितने इनके के बहुत ही करीबी, एक थाली में खाने वाल होगे उतने तो बेड भी गाजीपर में नहीं। इस लिये भैया बच के बचा के।
अन्‍त में दो ही बात कहूँगा चोली आपकी घाघरा आप का कहॉं बैठना है कि फटे मत, आपकी मर्जी। मॉं कामाख्‍या सभी को स्‍वस्‍थ व मस्‍त रखें।  तबीयत अस्‍वस्‍थ होने पर घबडाये मत, हर रात काली नहीं होती, हर लक्षण कोराना नहीं होता, कोरोना से मरने वाली की संख्‍या 2 प्रतिशत ठीक होने वालो की संख्‍या 98 प्रतिशत ,हसते रहो, हसाते रहो पत्‍नी घर में मारेगी तो अभी घर में रहो

अखंड गहमरी


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ