शव भी तड़प कर बोल पड़े- बड़ा बेर्दद हाकिम है उपजिलाधिकारी सेवराई।

''कहूँ क्‍या बदनसीबी का, बताओं हाल मैं तुमसे।
                        चला जब छोड़ दुनिया तो, कफ़न भी ना मिला मुझको।। 
अखंड गहमरी

एशिया महाद्वीप में गॉंवो की राजधानी कहे जाना वाला उत्‍तर प्रदेश के गाजीपुर जनपद का गहमर गॉंव 10 मई की शाम अचानक देश-व्‍यापी चर्चा में आ गया। इस बार कोई उपलब्धि नहीं बल्कि गहमर गंगा किनारे मिले शवों की संख्‍या के कारण चर्चा में आया। गंगा के मैदानी भाग में आने एवं सागर से मिलन स्‍थल गंगोत्री के ठीक मध्‍य में पड़ने वाले गहमर के घाटो पर देश ही नहीं बल्कि विदेश से मीडिया पहुँचने लगी। शवों की संख्‍या व शवों के अ‍ंतिम संस्‍कार पर सवाल उठने लगे। गंगा मे मिले शव को जिस प्रकार हटाया गया वह आने वाले समय में एक गंम्‍भीर समस्‍या बन कर सामने आयेगा।

प्रमोटेड एस डी एम सेवराई रमेश मौर्य

 घटना की शुरूआत वहॉं से होती है जब तहसीलदार से प्रमोशन पाकर सेवराई के उपजिलाधिकारी बने रमेश मौर्य ने 10 मई को  जिले के कर्मठ और सुलझे हुए जिलाधिकारी महोदय के सामने गंगा में उत्‍तर प्रदेश की सीमा में शवों के मिलने की संख्‍या की गलत तस्वीर पेश की और जिलाधिकारी महोदय ने यह समझते हुए कि उनके सहयोगी सही तस्वीर दिखा रहे हैं मीडिया को एक शव मिलने का बयान दे दिया। जिस समय जिलाधिकारी महोदय एक टीवी चैनल को एक शव मिलने का बयान दे रहे थे उस समय 'बारा' सहित गहमर के बड़की-बाग, सोझवा घाट, पंचमुखी घाट और मठिया घाट की सीढ़ीयाँ बह कर आये शवों से अटी-पड़ी थीं। 

जब मीडिया ने दुबारा जिलाधिकारी महोदय को सच की तस्‍वीर दिखाई तो उन्‍होनें संभवत: एस.डी.एम सेवराई को जम कर लताड़ लगाई। ऐसे आपको बताते चले कि उपजिलाधिकरी सेवराई का जिलाधिकारी महोदय से लताड़ पाना नया नहीं है। कई जनहित के कामों में लापरवाही के कारण महोदय आलाधिकारीयों की नाराजगी झेलते हैं। सुत्रो की माने तो जिलाधिकारीय महोदय की फटकारका असर यह हुआ कि उपजिलाधिकारी महोदय रातो-रात भाग कर गहमर गंगाघाट पर आये,और गहमर के सुधीर सिंह, कामदेव सिंह  सहित कई समाज सेवीयों के लेकर सफाई में जुट गये।

 



 रात भर घाटो से शव हटाने का क्रम चलता रहा, लेकिन यहां भी शासन के आदेश की खुली अवहेलना हुई। शासन का स्‍पष्‍ट आदेश था कि, गंगा में मिले शवों के साथ सम्‍मान जनक व्‍यवहार हो और उनका अंतिम संस्‍कार किया जाये। परन्‍तु प्रत्‍यक्षदर्शीयों के अनुसार गंगा में मिले शवो को या तो किनारे पर ही नमक, चूना डाल कर छोड़ दिया जा रहा था या उन्‍हें गंगा के इस पार और उस पार बालू में  केवल महज दो से तीन फीट गढ्ढा खोद कर उसमें डाल दिया गया। यही नहीं मौजूद एस.डी.एम महोदय ने 11 मई की सुबह लगभग 9 बजे शवों को दफनाना भी छोड़ दिया और नाव में लगे इंजन के पास  बॉंधवा कर उसे गंगा में जहाँ पर भी तेज धार दिखी वहां बहा दिया। एस डी एम सा‍हब की मौजूदगी में जिस प्रकार शवो को साथ व्‍यवहार किया गया वह बेहद की अमानवीय था। लेकिन राजनैतिक सरपस्‍ती लिये उपजिलाधिकरी को इससे क्‍या लेना देना था, उन्हें तो बस कालम की पूर्ति करनी थी ।

11 मई को दोपहर होते होते उपजिलाधिकारी महोदय ने समस्‍त शवों को हटा कर उनका अंतिम संस्‍कार का कार्य पूरा बता कर अपनी पीठ खुद ठोंक लिया, मगर शायद उपजिलाधिकारी महोदय को कैमरे की नज़र का अंदाज नहीं था, गहमर नरवा घाट से महज 300 मीटर की दूरी पर ए0बी0पी गंगा की टीम के सामने कैमरे पर तीन शव उसी तरह बेबस और लाचार दिख गये। उसके बाद तो गहमर में जिस प्रकार देश-विदेश की मीडिया पहुँची और शासन के दावो की पोल खोलना शुरू किया, गहमर राष्‍ट्रीय ही नहीं अन्‍तराष्‍ट्रीय चर्चा में आ गया ।

न करता इस कदर अपनो, को कोई भी विदा हाकिम।
मगर ये मुफलिसी दिल को, बड़ा मजबूर कर देती।।


उपजिलाधिकारी की देख-रेख में गंगा में मिले शवों को जिस प्रकार से हटाया गया है इस बात से इंन्‍कार नहीं किया जा सकता है कि, तेज हवा या पानी का स्‍तर बढ़ने के बाद वह शव निकल कर पुन: गंगा में नहीं आयेगें। शवो को गहमर के सोझवा घाट, पंचमुखी घाट पर भी सीढ़ीयों के ठीक नीचे दफन कर दिया गया है। जिससे आये दिन पशु-पक्षीयों का मेला वहॉं लगा रहता है। गंगा के पार लोगो का जाना भी काफी कठिन हो गया है।  विदित हो कि गहमर गंगाघाट नहीं गहमर गंगा के पार बालू एवं उधर के खेत भी जो भॉंवरकोल थाने के अधीन है।गहमर के हैं, जहां गहमर के लोगो का रोज आना-जाना लगा रहता है।

निश्‍चित ही आने वाली बरसात गहमर क्षेत्र के लोगों के लिए आने वाले दिनों में मुसीबतों का सबब बनने जा रहा है। आने वाले दिनो में गंगा नर-कंकाल से भर जायेगी। जिसकी कल्‍पना से अभी ही गंगा किनारे के लोग सहम रहे हैं। प्रमोटेड एस डी एम सेवराई ने शासन के शवों के अंतिम संस्‍कार के आदेश के बावजूद क्‍यों इन शवों को महज जरा जरा से गढ्ढे खोद कर घाटो एवं गंगा के पार बालू में दफन कराया? क्‍यों नहीं उन्‍होनें शवो का अदेशानुसार अंतिम संस्‍कार कराया यह एक जाँच का विषय  है। देखना होगा कि, इस शवो के अंतिम संस्‍कार की बात को ठेंगा दिखा कर शवो को अपमान जनक तरीके से किनारे लगाने वाले उपजिलाधिकारी सेवराई पर क्‍या कार्यवाही होती है?  लेकिन शवों के साथ मानवता के हद से बाहर जाकर इस तरह व्‍यवहार करने वाले सेवराई के प्रमोटेड उपजिलाधिकारी महोदय के लिए इतना तो कहना पड़ेगा कि वाह रे!..एस डी एम साहब आपकी कार्य प्रणाली अनुकर्णीय है।

 

 अखंड प्रताप सिंह
प्रकाशक साहित्‍य सरोज 



 


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