छू नहीं सकती उसे हताशा,
जिसके मन में हो आशा ,
जीवन पथ पर बढ़ते जाना ,
सिखलाती मनु को आशा ।
संबल गहरी काली रात का,
आने वाली सुबह है आशा, वीराने में भटके राही को,
राह दिखाती है आशा ।
भय शंका डर दूर भगाती,
मन में नया विश्वास जगाती, क्रियाशील जो हमें बनाती, भीतर की वह गूंज है आशा।
अनुभा जैन
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