माँ


                   ( गजल )
    राम पुकार सिंह " पुकार" गाजीपुरी
 
संवेदना है, भावना है, तो कभी आश्वास है माँ,
जीवन के फूलों में तो खुशबू का सदा आभास है माँ।

शुभकामनाओं की लड़ी आशीषों की खुद ठाँव है माँ,
होती किसी भी मुश्किल के हल का सदा आश्वास है माँ।

चरणों में माँ के जन्नत है आनंद की किलकारी है माँ,
है तोहफा अनमोल प्रभु का जग को, खासमखास है माँ।

इक माँ ही होती दीपक जीवन में किसी के भी हमेशा,
आस्था है सबकी, आशा है सबकी, अटल विश्वास है माँ।

माँ के बिना इस सृष्टि की तो कल्पना ही है अधूरी,
सबसे अलग सबसे जुदा सबसे सही में खास है माँ।

माँ का कभी भी कोई भी पर्याय जीवन में नही है,
माँ त्याग है तपस्या है सेवा का गजब अहसास है माँ।

खुद भूखे प्यासे रह के माँ बच्चे की करती इच्छा पूरी,
है वो "पुकार" खुशनसीब खुद अपनी जिनके पास है माँ।

 


 

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