अब नहीं रहा पहले जैसा प्रेम-शिल्‍पा


 

 रिश्तें की चूल्ह, हंसी मजाक आज अशिक्षा की निशानी बन चुका है।शिक्षित व्यक्ति जहां  समाज की  अनमोल धरोहर होता है। चाहे वह औरत हो या मर्द शिक्षा तो सभी को अपना ज्ञान समान रूप से बांटती है। यह तो हम ही नादान हैं जो रिश्तो का नाम देकर इसे अलग कर देते हैं और कहते हैं शिक्षित व्यक्ति तो समझदार होता है उसकी समझदारी का इतना ढिंढोरा पीटा जाता है की वह हंसी मजाक और ठिठोली को अशिक्षा की निशानी मान लेता है।

वह अच्छे बुरे का फर्क करना जानता है मगर जब चुगली निंदा की बात आती है तो कहां चला जाता है हमारा शिक्षित कहलाना। कुछ लोगों को तो अपनी जुबान पर नियंत्रण करना नहीं आता जब जी आया कर दी निंदा ना बड़े छोटे का लिहाज ना शिक्षित होने की समझ हमारी इन्हीं आदतों के कारण आज हमारे रिश्तो में दूरियां बढ़ती जा रही हैं और कमाल की बात तो यह है की इंसान अपने खून के रिश्तो के साथ ही ऐसा करता है उसकी नफरत सिर्फ अपनों के लिए ही होती है आसान शब्दों में कहूं तो "वह अपनों को इग्नोर करता है
और दूसरों को इंप्रेस"

उसे पड़ोसी से कोई लेना देना नहीं बस उसकी जद्दोजहद अपनों को तकलीफ कैसे दें उनको आहत कैसे करें उसमें लगी रहती है प्रेम, मजाक चूल्ह जैसे इसी कड़वाहट में कहीं खोकर रह जाते हैं।

पहले संयुक्त परिवार में सभी मिलकर खाना खाते ,अपनी दिनचर्या की बातें साझा करते हंसते बोलते थे पर अब उसकी जगह कानाफूसी व आर्थिक जरूरतों ने ले ली है अब ना तो भाई भाई मैं वो प्यार और स्नेह रहा ना बड़े छोटे का लिहाज अब तो हर इंसान सिर्फ अपने लिए सोचता है शिक्षित होते हुए भी आज हम अपनी शिक्षा को जिंदगी के हर फलसफे पर शर्मिंदा करते हैं और फिर शिक्षित होने का ढोंग रचाते हैं

आज हम हंसी ठिठोली कर भी लेंगे और फिर इधर-उधर देखेंगे की कहीं हमें कोई देख सुन तो नहीं रहा। क्या कहेगा वह हमारे लिए कि हम शिक्षित होकर भी ऐसा करते हैं शिक्षा को हमने अपने निजी फायदे का जरिया बना लिया है हम कब समझेंगे की हंसी मजाक प्रेम प्यार यह सब हमारे जीवन का हमारे शिक्षित होने का एक अभिन्न अंग है।

शिल्पा अरोड़ा
विदिशा मध्य प्रदेश
 

 

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