सूरज जी आये गर्मी लेकर ,
उससे जूझ रहा प्राणी हर ।
जब करती गर्मी अपनी मार ,
पसीने की बहने लगती धार ।
धूप लगती है तन पर ऐसी ,
मानों आग बरस रही हो जैसी ।
जलते हैं राहगीरों के पाँव ,
ढूँढते फिर वृक्षों की छाँव ।
शीतल जल के लिये तरसते ,
मिलती राहत जब मेघ बरसते ।
सूरज बड़ा ही नटखट लाल ,
बदलता रहता अपनी चाल ।
बड़ा मायूस दिखता पूस-माघ ,
जेठ-आषाढ़ में बरसाता आग ।
गर्मी का बहुत बड़ा भण्डार ,
जून-जुलाई में लाता हर बार ।
गर्मी संग मक्खी - मच्छर रोग ,
बिगड़ते इनसे बहुतों के जोग ।
सावधानी के साथ जो रहते ,
वे नहीं रोग - व्याधियाँ सहते ।
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डॉ. सुरेन्द्र दत्त सेमल्टी
ग्राम/पो.पुजार गाँव(चन्द्र वदनी)
द्वारा - हिण्डोला खाल
जिला - टिहरी गढ़वाल - 249122(उत्तराखंड)
मोबाइल नंबर - 9690450659
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dr.surendraduttsemalty@gmail.com
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