पढ़े कामिनी दुबे और वी अरूणा का रविवारीय आलेख

 एक पढ़ा लिखा लड़का अपनी नौकरी कि तलाश मे पास के गांव से शहर आया वह सरकारी स्कूल मे नौकरी कि तलाश मे आया उस व़क्त मे स्वयम् हि प्रधान अध्यापिका के पद् पर कार्य रत थी। जब लड़के से मिलने पर उसने बताया कि में धन्धे मे फैल हो गया हूँ अब मुझे नौकरी कि जरूरत है मेरे व्रद्ध माता पिता और पत्नी है जो साथ मे हि रहते है । मैंने उन्हें बताया कि प्राइवेट स्कूल मे हि नौकरी करलो अपनी मेहनत और ईमानदारी से बच्चों को पढ़ाना तो पगार भी मिलेगी और बच्चों कि ट्यूशन भी मिलेगी और वहां से अनुभव का प्रमाण पत्र मिलेगा उस आधार पर सरकारी स्कूल मे तुम्हे अतिथि शिक्षक के रूप मे नौकरी मिल जाएगी । उस लड़के ने बात मानते हुए ईमानदारी और लग्न से काम किया वर्तमान मे अपना  जीवन आनंद से व्यतीत कर रहा है। जहां लग्न हो वहां कोई भी काम असम्भव नहीं होता।

कामिनी दुबे धार (म.प्र)

रविवारीय आलेख का विषय है। उपरोक्त विषय से संबंधित एक गरीब किसान अपने गांव में खेती-बाड़ी करते हुए अपने परिवार की देखभाल करता है ।उसे और भी मेहनत करके परिवार को देखना पड़ता है। आखिर जब वह नौकरी की तलाश के लिए शहर आते हैं  व्यापार करने के लिए ।किसान मजबूरी में काम करने के लिए  एक व्यापारी के पास जाता है । तब वह व्यापारी कहते हैं  की  जब आप किसान हैं  गरीब हैं । मेरे हिसाब से  यहां व्यापारी ना करते हुए  अपने गांव में ही  जाकर के खेती बाड़ी का काम किया करो  ।यह तो शहर है  यहां तो गरीबों के लिए  कोई भी  कार्य करना कठिन है।  कृपया  मेरे विचार से यह कहना है  कि गांव में जाकर के ही  अपनी खेती बाड़ी का काम करो।  मेरे विचार से  शहर में आपको काफी तकलीफ है उठानी पड़ेगी । मेहनत मजदूरी का काम करते हुए  आप अपने परिवार की  देखभाल नहीं कर पाओगे।  कृपया  अपने गांव में जा कर  खेती का काम करो । तभी  पूरे परिवार को  आनंद पूर्वक  देखभाल कर पाएंगे

वी अरूणा कोलकाता 

 

 । रविवारीय मुद्दा: घर में बच्चे पालना अकेले महिला की नहीं बल्कि सबकी  जिम्मेदारी है - Global Bihari


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