सेन्टर ऑफ अट्रैक्शन-मीना

 'सेन्टर ऑफ अट्रैक्शन'
"भाई, मुझे भी सेन्टर ऑफ अट्रैक्शन की कला सिखा दो"
"क्यों, तुम्हें क्या करना है इस कला का?"
"तुम्हारे कहने का अभिप्राय है हम नाचीज़ लोगों को  कलाएं सीखने का हक नहीं है?"
"बिल्कुल हक है, तो चलो फिर इस कला की कुछ शर्तें गांठ बांध लो---
1-हर पोस्ट पर टिप्पणी मत दिया करो।
2-बंदर की भांति सबसे पहले आ कर पोस्ट पर उछल कूद मत किया करो।
3-टिप्पणी इतनी लंबी लिखा करो कि एक लेख तैयार हो जाए।"
"पर भाई लंबी क्यों? हमें लेख का भावार्थ थोड़े ही करना होता है।"
" कर दी ना, नादानों वाली बात, अरे भाई दूसरों के भले से पहले अपना भला सोचो।मुझे लगता है तुम्हारे बस की नहीं यह कला सीखना।अब आखिरी टिप नहीं दूंगा"
"प्लीज,भाई अब नहीं बोलूंगा,बता दो"
"ठीक है, आखिरी टिप यह है कि आखिर तक चुप्पी साधे रहो।"
"पर भाई........ आखिर तक क्यों?
आखिर को सेंटर अट्रैक्शन कैसे माना जायेगा?"
"अरे बावरे, सबसे अलग और अंत में जो दिखे वो सेंटर अट्रैक्शन होता है, समझा कुछ।"
"जी,भाई जी ,समझ गया।अब कल देखना नमूना।"
"किसका?"
"मेरे सेन्टर अट्रैक्शन बनने का "

मीना अरोड़ा


 

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1 टिप्पणियाँ

Sanjiv Nigam ने कहा…
सटीक व्यंग्य। बधाई।