श्मशान की धूंधूं के बीच
अखबार पटे रहे
बलात्कार
हत्या और
गुरबत की
ताजा- तरीन खबरों से
राजा और युवराज
चाय की चुस्कियों के साथ
पीते रहे
और महसूस करते रहे
अपने आपको
तरोताजा|
हर शख्स
अपनी जुराब पर
पर्फ्यूम स्प्रेकर
बदबू पर
डालता रहा
परदा|
मुद्दे से
ध्यान भटकाने की
दलील पर
अनवरत
सर-संधान जारी रहा
चहुँ ओर |
एक बात
समझ से परे रही
क्या मृत्यु भी
कोई मुद्दा हो सकती है?
इन गलबजवन को
कौन समझाए?
मुद्दा तो
जीवन और मृत्यु
दो छोरों के बीच अटका
पतंग-सा फड़फड़ा रहा है|
मुद्दे तो होते हैं शुरू
जीवन की
सुगबुगाहट के साथ ही
रोटी और बेटी के
जो मृत्यु पर
अनंत में विलीन हो जाते हैं
अनुत्तरित|
इस समय
सांझा चूल्हा धधक रहा है
हवाएं हैं अनुकूल
ईंधन की भी नहीं है
मारामारी
हथपुइए दक्ष कलाकारों को आदेश दो
जितनी ज्यादा से ज्यादा
सेंक सके
सेंक लें रोटियां |
डॉ.ज्योति मिश्रा
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