संघर्ष के बाद सफलता का महत्व- निर्मल


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संघर्ष! यह एक ऐसा अनुभव है जिससे शायद ही दुनिया का कोई व्यक्ति वंचित हो। हमें बचपन से सिखाया जाता हैं कुछ भी पाने के लिए संघर्ष करना ही पड़ता है।और इस संघर्ष रूपी जीवन
जिसका प्रमाण हमें अपने पुरातन धर्म ग्रन्थों में मिलता है...जैसे:- रामायण में " भगवान श्री राम चन्द्र" जी का जीवन चरित्र,"श्री कृष्ण" जी का जीवन चरित्र इत्यादि..!
 बिना संघर्ष के कभी कुछ हासिल नहीं होता। समाज में प्रतिष्ठा, नाम-शोहरत, रुपया-पैसा, तरक्की या फिर पढ़ाई में अव्वल होना हो, चाहे जो भी लक्ष्य हो उसे प्राप्त करना बिना संघर्ष के संभव नहीं।
इस संदर्भ में भारत भूमि के इस पवित्र धरती पर जन्में विश्व प्रसिद्ध कवि और वक्ता कहते हैं:-
   " जबतक "राम चन्द्र" जी अयोध्या के राजा महल में रहे तबतक राजकुमार राम कहलाए,लेकिन वहीं राम चन्द्र जब बारह वर्ष अयोध्या से बाहर वनवास से संघर्ष पूर्ण जीवन व्यतीत कर के आए तो वहीं राम चन्द्र "मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम चन्द्र" कहलाए..!
आज हम माता "सीता जी" को एक पूर्ण पतिव्रता स्त्री होने का प्रमाण इसी आधार पर देते हैं..क्योंकि इसके पीछे भी माता जी की घोर तपस्या और अपने पति व्रत का सख्ती से पालन करना है....।इसी लिए मनुष्य को जीवन में आए हुए संघर्षों से भागने की जरूरत नहीं बल्कि उनका डट कर सामना करने की आवश्यकता है।
इसमें कोई दोराय नहीं की संघर्ष जीवन को तराशता है, निखारता है, सँवारता है और फिर हमें ऐसे साँचे में गढ़ता है जिसकी प्रसिद्धि दुनिया करते नहीं थकती।
                                2.
 शायद यही वो मुकाम होता है जिसके लिए मनुष्य अथक प्रयास करते जाता है जिसे हम संघर्ष कहते हैं। इसके पश्चात जो सफलता प्राप्त होती है निसंदेह वो अतुलनीय होती हैं। जिसके लिए कहा गया है
"संघर्ष ही सफलता की कुंजी है.."
और आज हमें गर्व होना चाहिए कि हमारे देश में,और विश्व में कुछ ऐसे विश्व प्रसिद्ध पुरुष, क्रांतिकारी ,दार्शनिक ,मजुद , लेखक हैं या जो थे.. जिन्होंने मनुष्य को कामयाबी के रास्ते पर ले जाने वाले मूल मंत्रों को साझा किए हैं ताकि हम उन मूल मत्रों को अपना कर जीवन में कुछ अलग कर सकें:जिसके संदर्भ में महात्मा गांधी जी का कथन है कि "जीवन में सफल सफल व्यक्ति वहीं होता है जो सत्य के मार्ग पर चलता है...
                          - महात्मा गांधी..

                                3.
संघर्ष जीवन के उतार-चढ़ाव का अनुभव कराता है, अच्छे-बुरे का ज्ञान करवाता हैं, सतत सक्रिय रहना सिखाता है, समय की कीमत सिखाता है जिससे प्रेरित होकर हम सशक्तिकरण के साथ फिर से अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित होते है और जीवन जीने के सही तरीके को सीखते हैं।
दुनिया का हर व्यक्ति जीवन में सफलता की उम्मीद करता हैं क्योंकि वो जानता है कि सफलता के बिना कुछ भी पाना मुश्किल है जिसके लिए वो अथक प्रयास भी करता है। लेकिन आज की हमारी युवा पीढ़ी संघर्ष से भागती नजर आ रही है जो की एक दिव्य भारत के निर्माण में मिल का पत्थर साबित हो सकता है..जिसके फलस्वरूप आज मुझे अत्यन्त दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि अगर..हमारे पास देश के विकाश के बारे में सोचने का समय नहीं है तो हम कम से कम अपने विकाश के बारे में तो सोच हीं सकते हैं....लेकिन इसके लिए हमारे देश की युवा पीढ़ी को सबल होने की जरूरत है,प्रबल होने की जरूरत है साथ हीं अपने लक्ष्य के को पाने के प्रति एक पागल की तरह सोच रखने की जरूरत है,और साथ में अपने अपने इष्ट के प्रति अगाध श्रद्धा रखते हुए उनका स्मरण करते रहने की आवश्यकता है..ताकि लक्ष को प्राप्त करने के मार्ग में कोई बढ़ा न आए...क्योंकि
कहा गया है:-
जो पाना है बस उसकी एक पागल की तरह चाहत कर
करता रह कर्म मगर साथ में खुदा की इबादत भी कर

                               4.
भारतीय रचनाकारों द्वारा परिभाषित जीवन का उदेश्य और अर्थ भिन्न-भिन्न है जिसका अध्ययन करने के उपरांत ज्ञात होता है कि जीवन एक चक्र है जो दिनप्रतिदिन गुरता रहता है. अतः हमें अपने विद्वानों के अनुसार,अपने वधर्म ग्रन्थों के अनुसार और अपने वेदों के अनुसार हीं चलने की आवश्यकता है...!
हमें अपने जीवन को सफल बनाने के लिए सनातन धर्म के मार्ग पर और साथ मिलकर चलने कि अती आवश्यकता है....जिसका संकेत ऋग्वेद के इस श्लोक में मिलता है:-
। सं गच्छध्वम् सं वदध्वम्।। (ऋग्वेद 10.181.2)
कई बार कुछ अलग करने की चाह और प्रबल प्रेरणा से व्यक्ति अपने मुकाम के करीब पहुँच भी जाता है लेकिन कुछ कठिन संघर्ष को सामने देख सफलता से वंचित हो जाता है।
इसीलिए किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए मन को एकाग्र करके मैदान में उतरें और:-
" एक समय में एक काम करें , और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दें और बाकी सब कुछ भूल जाएं "
 जो लोग इस कथन को खरे उतरते हैं उनके सपने पूरे होते हैं और जो नहीं उनके सपने अधूरे रह जाते है और जीवन के अंतिम पलों तक उनकी इच्छाएँ आधी-अधूरी रह जाती है। ऐसी इच्छाएँ उन्हें अपने जीवन से निराश करती है क्योंकि अधिकांश लोग अपने संपूर्ण जीवन में यह जान ही नहीं पाते की सफलता कैसे हासिल हो।
                               5.
दोस्तो! जीवन ‘संघर्ष’ का दूसरा नाम हैं। एक बात हमेशा याद रखिए, अपनी मंजिल का आधा रास्ता तय करने के बाद पीछे ना देखे बल्कि पूरे जुनून और विश्वास के साथ बाकी की आधी दूरी तय करे, बीच रास्ते से लौटने का कोई फायदा नहीं क्योंकि लौटने पर आपको उतनी ही दूरी तय करनी पड़ेगी जितनी दूरी तय करने पर आप लक्ष्य तक पहुँच सकते है।
जब तक जीवन में संघर्ष नहीं होता तब तक जीवन जीने के अंदाज को, सच्ची खुशी को, आनंद को, सफलता को अनुभव भी नहीं किया जा सकता। जिस तरह बिना चोट के पत्थर भी भगवान नहीं होता। ठीक उसी तरह मनुष्य का जीवन भी संघर्ष की तपिश के बिना ना तो निखर सकता है, ना शिखर तक पहुँच सकता है और ना ही मनोवांछित सफलता पा सकता है।  इस बारे में मेरी अपनी राय है कि:-
"कोई लक्ष्य मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं, हारा वही जो लड़ा नहीं."
पर उन लक्ष्यों तक पहुंचते वहीं लोग हैं जो संघर्ष करते हैं...!
                              6.
क्योंकि ”संघर्ष हमारे जीवन का सबसे बड़ा वरदान है और क्योंकि वो हमें सहनशील, संवेदनशील और देवतुल्य बनाता हैं।” संघर्ष के इस सूत्र को समझिए और उसपर चलने की कोशिश कीजिए। यकीन मानिए आप जीवन को एक अलग रूप से देखने लगेंगे।
और जीवन में अगर सफल होना है तो स्वयं के प्रयासों से सफलता को प्राप्त कीजिए....!जिन लोगों को विरासत में सब कुछ मिलता है उन लोगों को भी इस विरासत को सहेज कर रखने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। विरासत बनाने के लिए किसी पीढ़ी ने तो संघर्ष किया होता है,और जी संघर्ष से भागने वाले प्राणी है वो कभी भी मनोवांछित सफलता नहीं पा सकतें है।
क्योंकि ”संघर्ष हमारे जीवन का सबसे बड़ा वरदान है और वो हमें सहनशील, संवेदनशील और देवतुल्य बनाता हैं।” इसलिए
संघर्ष के इस सूत्र को समझिए और इसपर विचार कीजिए
”इच्छाशक्ति + स्थिरता = संकल्प, संकल्प + कड़ी मेहनत (संघर्ष) = सफलता l
                             7.

इस बारे में कॉल मार्क्स वादी विचारधारा कहती है:-
"एक घर बड़ा या छोटा हो सकता है; जब तक पड़ोसी घर छोटे होते हैं, तब तक यह एक निवास के लिए सभी सामाजिक लोगों को संतुष्ट करता है। लेकिन छोटे घर के एक महल के बगल में आने दें, और छोटा घर एक झोपड़ी में सिकुड़ जाता है।" मजदूरी और पूंजी (1847)
                " निर्धारित लक्ष्य के बिना आप जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफल नहीं हो सकते. यदि आपको अपनी मंजिल का ही पता नहीं होगा तो भला रास्ता कैसे तय करेंगे? स्पष्ट लक्ष्य के अभाव में आप अंजान रास्तों पर यूं ही भटकते रहेंगे. अतः क़ामयाबी पाने के लिए सबसे पहले अपना लक्ष्य निर्धारित करिए और फिर पूरी ईमानदारी और मेहनत से उसे हासिल करने में जुट जाइए...!
क्योंकि किसी मंजिल पर पहुंचने से पहले का रास्ता थकाने और हिम्मत तोड़ने वाला होता है. ऐसे में कोई भी हार कर बैठ सकता है. लेकिन जो अपने जज्बे को बनाए रखते हैं, वे जीवन में आयी सभी विषम परिस्थितियों के बावजूद भी सफल अवश्य होते हैं...।
इस विषय में नेपोलियन हिल का कथन है:-की
"जब कोई व्यक्ति अपने लक्ष्य को इतनी गहराई से चाहे कि वह उसके लिए अपना सब कुछ दांव पर लगाने के लिए तैयार हो, तो उसका जीतना सुनिश्‍चित है."
                              8.

- सफलता का आशीर्वाद केवल उन्हें ही मिलता है जिन्होंने कभी संघर्ष के क़दमों को स्पर्श किया हो। #1- आपका संघर्ष जितना बड़ा होगा आपकी सफलता उतनी ही बड़ी होगी। #2- जितनी भारी मुसीबतों की ज़ंजीरें आपके क़दमों में बंधी रहेंगी इनके उतरने पर आपकी उड़ान उतनी ऊँची होगी
क्योंकि राष्ट्र पिता महात्मा गांधी जी की शुक्ती है कि:-
मुट्ठीभर संकल्पवान लोग जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं.
                             – महात्मा गांधी

 

निर्मल कुमार दुबे
श्री च्छत्रधारी संस्कृत महाविधालय
(हथुआ, गोपाल मन्दिर परिसर )
वर्ग:- शास्त्री प्रतिष्ठा (स्नातक)
जिला:- गोपालगंज  (बिहार)
संपर्क सूत्र:- 9973955896 




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