घर में लाश पड़ी थी और कफ़न के पैसे नहीं थे कोरोना के कारण सालभर से काम बंद ..किसी तरह गोलू ने दोस्तों से कफ़न का इंतज़ाम किया और अपने पिता की लाश को "अग्निदेव "को समर्पित किया ..घर में माँ ने गोलू को गले लगा कर प्यार करते हुये बोली बेटा छोटा हो कर भी तुमने पिता का दाह संस्कार किया पर तुम्हारा बड़ा भाई सब हड़पने की जुगाड़ ही में लगा रह गया ..गोलू माँ तू चिंता मत कर मैं हूँ न ..तभी "बड़के "भाई ने कहाँ मैंने बँटवारा करा लिया है नाले के पास के खेत मेरे और पहाड़ के पास के खेत गोलू के , माँ बेटा वह तो खेत बंजर पड़े है तुम दोनो जगह के खेतों के आधे , आधे का बँटवारा करो , गोलू नहीं माँ भैया ने जो कर दिया है मुझे मंज़ूर है , माँ चिखते हुये बाप को मर कर एक दिन नहीं हुआ तूने बँटवारा कर दिया निकल मेरे घर से मत आना , वही खेत पर ही रहना ...गोलू मना करता रहा पर माँ ने उसका सामान फेंक दिया , वह भी खेत पाने के नशे में अपनी चतुराई के घंमड में चला गया ।
गोलू माँ चिंता मत कर मैं उस बंजर ज़मीन पर कल से ही काम करुगा तुम देखना भैया से अधिक पैसा आपको दूँगा और गोलू ने उस बंजर ज़मीन को रात दिन मेहनत कर नयी तकनीक से खेती कर सबको चौंका दिया , दूर दूर गाँव में गोलू का नाम हो गया , आज उसकी मेहनत , लगन व सूझबूझ ने माँ की सीना चौड़ा कर दिया था ।
डॉ अलका पाण्डेय मुम्बई
9920899214
मैं यह घोषणा करती हूँ यह स्वरचित व मौलिक व अप्रकाशित रचना है
धन्यवाद
दोहे ------अलका
सुमिरन करने से धुले
हम सब के ही पाप ।
धूप ,दीप ,भोग लगे
हर्षित होते आप ।।
फूलों की माला बना
तेरा करु श्रृगांर ।
तन मन से पूजा करे
नैया करना पार ।।
हे प्रभु गजानन सुन लो
मेरी विनय पुकार ।
हे प्रभु विध्न हर्ता सुनो
करना तुम उपकार ।।
कोरोना भू से हटे
कर दो न कुछ उपाय ।
दूब फूल से पुज रही
दो गूथ्थीं सुलझाय ।।
सुबह शाम श्री को भजे
मन बसे सिया राम ।।
सब में देख रुप हरि का
जगत परम है धाम ।।
डॉ अलका पाण्डेय मुम्बई
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