कमबख्त दिल न होता-अंजना जैन


पापा वैवाहिक विज्ञापन निकाले इसके पहले,

दिल बल्लियों उछलने लगा किसी पर जोर से।

उसका पसीना भी गुलाब नजर आने लगा मुझे,

हम साथ जीने-मरने की कसम खाने लगे।

कसम खाने के सिवाय कोई चारा न था,

क्यों कि उसके घर में खाने का मुट्ठी भर निवाला न था।

मगर कमबख्त दिल में ख्याली लड्डू लगे फ़ूटने,

खाना -औड़ना मूली है किस खेत की, प्यार के सामने।

अमिताभ भी तो' कुली' होकर शान से रहता है फिल्मों में,

आमिर खान भी 'राजा हिन्दुस्तानी' बन सकता है फिल्मों में।

मेरे नूरे-नजर की भी किस्मत चमकेगी शादी करके मुझसे,

मेरे पापा मालिक बना  देंगे उसे फेक्ट्रियों के।

मेरे दुस्साहसपूर्ण विद्रोह ने मुझे चलता किया पापा के घर से,

मेरे नूरे-नजर स्टेशन पर कुली बन गये असलियत में।

हाथों में पेडिक्योर का स्वप्न पुरा हुआ बरतनों की मसाज से,

दिल ही दिल में दिल को गालियां देती हूं सौ-सौ।

काश तुम न होते! कमबख्त दिल तुम न होते!


अंजना जैन



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