कमबख़्त दिल न होता-सतीश

ओरिया से टपकता पानी होता,
मैं उसके संग नहाया होता,
चिलमन के पीछे वो मुखड़ा होता,
याद में तड़पता कमबख़्त दिल न होता!


वह नहाती चश्मे में नंगा बदन होता,
उसका चिलमन हवा से सरकता होता,
आँखों में बस उसका चेहरा होता,
सपने में तड़पता कमबख़्त दिल न होता!

इश्क़ अगर होता तो उसी से होता,
वरना नहीं ही होता,
मेरा उसका किस्सा हर जुबा पर होता,
उसके लिए दुआ करता यह कमबख़्त दिल न होता!

जहाँ वह चलती मेरा दिल जूता होता,
धूप और काँटों से हिफाजत करता,
उसके सिर का बोझ मेरे सिर पर होता,
उसकी याद में तड़पता कमबख़्त दिल न होता!

सोने की तरह आग में तपाया होता,
हर रोज उस गली से गुजरा होता,
इश्क़ की आग में जलाया गया होता,
तेरे लिए धड़कता यह कमबख़्त दिल न होता!!

  सतीश "बब्बा"
                                 
सतीश चन्द्र मिश्र, ग्राम + पोस्टाफिस = कोबरा, जिला - चित्रकूट, उत्तर - प्रदेश, पिनकोड - 210208.
मोबाइल - 94510485089369255051.
ई मेल - babbasateesh@gmail.com

यात्रा संस्‍मरण पढ़े सतीश बब्‍बा का 

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