तो यूं कहां मुस्कुराते हम,
हर समय विपत्तियां मिले,
पर होती कभी न वो कम।
सारा दिन रोना दिल का है,
करता रहे झिलमिल सा है,
हँसाना रुलाना इसका काम,
कभी फूलों सा खिलता है।
ये कमबख्त दिल सताता,
कभी किसी पर आता है,
कभी सूनी रातों में आता,
कभी पूरी रात सताता है।
दिल के आगे न जोर है,
अपना तो बस ये ठौर है,
कभी सोने सा खरा उतरे,
कभी लगता पापी घोर है।
आओ इस दिल को मनाये,
बुरी आदतों से इसे बचाये,
समझा देंगे इसको तो यारों,
आओ कहीं दिल को लगाये।।
होशियार सिंह यादव
कनीना- 13027मोहल्ला-मोदीका वार्ड नंबर-01
जिला महेंद्रगढ़, हरियाणा
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