21 साल बाद बनी दाढ़ी, सावन में उड़े रंंग और गुलाल

छत्तीसगढ़ का एक महत्वपूर्ण शहर मनेंद्रगढ़ अब जिला बन गया है। आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस बात की घोषणा की। इसके बाद से तो मनेन्द्रगढ़ में जैसे उत्सव का माहौल बन गया। पूरा शहर रंगों में नहा गया। होली और दिवाली दोनों एक साथ मनाई जा रही थी । लोग पटाखे फोड़ रहे थे,हर कोई एक-दूसरे को गुलाल लगा कर खुशी का इज़हार कर रहा था। वहीं एक शख्स ऐसा भी था जो अपनी बढ़ी हुई दाढ़ी साफ करवा रहा था । यह शख्स थे जाने-माने एक्टिविस्ट और जुझारू शख्स रमाशंकर गुप्ता, जिन्होंने सन 2000 से अपनी दाढ़ी बढ़ानी शुरू की, इस संकल्प के साथ कि जब तक मनेंद्रगढ़ जिला नहीं बनेगा, वे दाढ़ी नहीं कटाएँगे। सन 2000 में छत्तीसगढ़ बना। मगर मनेन्द्रगढ़ जैसे विकसित शहर को जिला नहीं बनाया गया। तभी रमाशंकर जी ने संकल्प किया कि अब उनकी दाढ़ी तभी कटेगी, जब मनेन्द्रगढ़ जिला बनेगा। देखते-ही-देखते गुप्ता जी की दाढ़ी बढ़ती गई..बढ़ती गई । लोगों ने हर बार आग्रह किया कि दाढ़ी कटवा लो, लेकिन गुप्ता जी नहीं माने। वे अपनी जिद पर अडिग थे तो अडिग थे। और पूरे इक्कीस साल बाद आज 15 अगस्त 2021 को उनका सपना पूरा हुआ। मुख्यमंत्री ने मनेंद्रगढ़ को जिला बनाने की घोषणा की तो रमा भैया के पास उनके मित्र, परिचित एकत्र होने लगे और बोले, '' भैया,अब तो दाढ़ी साफ करा लीजिए!" रमा भैया ने मुस्कुराते हुए कहा, " बिल्कुल, फौरन!" और उसके बाद नाई आया और सबके सामने रमा भैया की दाढ़ी साफ हो गई। तो यह था एक संकल्प, जो अपने लिए नहीं, नगर के लिए लिया गया था।

चालीस साल पहले मैं मनेन्द्रगढ़ से रायपुर शिफ्ट हुआ था पत्रकारिता करने ,लेकिन मेरी आत्मा हमेशा मनेंद्रगढ़ में ही विचरण करती रही। वहाँ की हसिया, हसदो नदी, मनेंद्रगढ़ का सिद्ध बाबा पहाड़, मनेंद्रगढ़ के लोग, सभी मेरी स्मृति में निरंतर बनी रहे । आज भी बने हुए हैं । जब कभी अवसर आता है, मनेन्द्रगढ़ जाने का मन होता है । जब कभी वहां के मित्र बुलाते हैं, दूसरे का काम छोड़कर चला चला जाता हूं। मनेंद्रगढ़ में मेरा बचपन बीता। वही मैंने प्राथमिक शाला से लेकर कॉलेज तक की पढ़ाई की। साहित्य और पत्रकारिता का ककहरा मनेंद्रगढ़ में रहकर ही सिखा, इसलिए इस शहर से मेरा बहुत गहरा लगाव है । वर्षों पहले जब बैकुंठपुर को जिला बनाया गया, तब मनेंद्रगढ़ के लोग काफी दुखी हुए थे । जिला बनाने की मांग लेकर वर्षों तक आंदोलन चलता रहा। धरना, प्रदर्शन का लंबा सिलसिला चलता रहा। इस के बावजूद मनेंद्रगढ़ को जिला न बनाकर उसके साथ अन्याय किया जाता रहा। लेकिन मनेंद्रगढ़ के लोग कभी भी उग्र प्रदर्शन नहीं किया। उन्होंने शांतिपूर्ण प्रदर्शन करते हुए अपनी मांग जारी रखी। इस बीच रायपुर में रमाशंकर गुप्ता जी से निरंतर मेरी मुलाकातें होती रहीं। वे छत्तीसगढ़ के अनेक मुद्दों को मीडिया के सामने प्रस्तुत करते रहते हैं। जब कभी रायपुर में भेंट होती,तो मैं भी उनसे आग्रह करता कि दाढ़ी कटा लीजिए लेकिन वे अपना संकल्प दोहरा देते । तब मुझे मौन होना ही पड़ता। बहरहाल, आज मनेंद्रगढ़ जिला बन गया और रमा भैया के दाढ़ी साफ हो गई , यह भी एक उल्लेखनीय घटना से कम नहीं। बहरहाल, इस अवसर पर कुछ पंक्तियाँ बन गई, देखें,
जिला बन गया मनेंद्रगढ़,
मन में हर्ष अपार ।
करे तरक्की यह शहर ,
निशिदिन बारंबार।
वर्षों का था स्वप्न यह,
आज हुआ साकार ।
हसिया, हसदो के तट पर
आया नव- त्योहार।
और तरक्की होगी अब,
होंगे नूतन काम।
फैले मनेन्द्रगढ़ शहर का,
दुनिया भर में नाम।

@ गिरीश पंकज








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