जब से लगी श्याम संग प्रीत
मैं तो दुनिया भूल गई
जब से लगी श्याम संग प्रीत
मैं तो दुनिया भूल गई
है कौन अपना कौन पराया
मैं तो खुद को ही भूल गई
जब से लगी श्याम संग प्रीत
मैं तो दुनिया भूल गई
अब नहीं मेरा है कोई नाता इस दुनिया से
बन गए श्याम मेरे मीत
जब से लगी श्याम संग प्रीत
मैं तो दुनिया भूल गई
नहीं पड़ता मुझे अब कोई फर्क
चाहे हार मिले या जीत्
जब से श्याम संग प्रीत
मैं तो दुनिया भूल गई
सत्येन्द्र पाण्डेय 'शिल्प'
गोण्डा उत्तरप्रदेश
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