दीमक- सुधा बसोर

पापा मम्मी जल्दी आओ, "देखो मेरी अलमारी में कितने  कीड़े हैं।सारी अलमारी काटकर खोखली कर दी है।शायद दीमक लग गई है।" अरे देखो ना जल्दी देखो। सरला का बेटा अलमारी खोलते ही जोर से चिल्लाया।  सुनकर सरला के पति रवि अखबार पढ़ना छोड़कर बड़े ही आराम से चलकर गए और बोले," हाँ दिखा क्या आफत आ गई?" अलमारी देखकर बड़े सहज भाव से बोले,"अरे हाँ, दीमक ही तो लगी है। कोई बात नहीं किसी को बुलवाकर ठीक करवा लेंगे।" कहकर अखबार पढ़ने लगे। सरला रसोई में खाना बनाते हुऐ सुनकर मन ही मन में बोल रही थी,"सही बात है इनके लिए रिश्तों में दीमक लगना कोई बड़ी बात नही, ये तो लकड़ी है। और फिर गुस्से में बड़बड़ाने लगी। फिर से एक और नुकसान। पहले से ही इतने काम बिगड़े पड़े हैं,दीवारों पर सीलन है, वाशिंग मशीन खराब है,नलों से पानी टपकता है।और भी न जाने क्या क्या। ठीक  करवाने के लिए कहना मतलब--- झगड़ा मोल लेना। एक और काम बढ़ गया। बड़बड़ाते हुए वह अपने वैवाहिक जीवन के पिछले बीस वर्षों में खो गई। घर गृहस्थी की अधिकांश जिम्मेदारी संभालने के बावजूद भी उसके पति ने उस पर आरोप प्रत्यारोप ही तो लगाऐ हैं। बेकसूर होने पर भी वहअपनी सफाई देती तो झगड़ा बढ़ जाता।  शायद पति से ऊँचा पद और उच्च शिक्षा ही उसका कसूर है।घर और पप्पू की मानसिक शांति बनाए रखने के  लिए , ताकि बच्चा अच्छे से पढ़ सके। 

घर का माहौल ठीक रहे। यही सब सोचकर वह न चाहते हुए भी रवि से खुद ही बातचीत शुरू कर देती है। पर रवि ने मेरी अच्छाइयों को कभी नहीं समझा। वह इतने सालों से अपने आप से समझौता करके और मन से झूठ बोल बोल कर थक अब चुकी है। अंदर से टूट चुकी है। रवि का उससे कोई भावनात्मक जुड़ाव ही नहीं है। वह सोच में डूबी थी  कि रसोई में आकर पप्पू ने मम्मी को परेशान देखा और संभावित तूफान को टालने के लिए बोला," अरे तुम चिंता मत करो।" मैं दीमक ठीक करने वाले को बुला लुंगा। और शाम को कारीगर बुलाकर  अलमारी ठीक भी करवा ली। खुश होकर बोला ," लो मम्मी  हो गई अलमारी ठीक।" अब खुश।"  अब इसे दीमक खोखला नहीं करेगी। बड़ी मुश्किल से अश्रु कणों को टपकने से रोकते हुए और अधरों पर झूठी मुस्कान बिखेरते हुए सरला ने रवि की ओर देखकर कहा," हाँ बेटा, चलो शुक्र है"। कम से कम अलमारी तो ठीक करके खोखला होने से बचा ही सकते हैं।"

       सुधा बसोर, गाजियाबाद से



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