बारिश की एक रात-सत्येंद्र पाण्डेय 'शिल्प'


बात यही कोई आठ साल पुरानी है एक गांव में एक किसान परिवार रहता था/ परिवार में किसान, किसान की पत्नी और एक बेटा था, वे बहुत गरीब थे उनके पास ज्यादा खेत भी नहीं था घर भी नहीं था उनके पास एक जोड़ी बैल थे, छप्पर का मकान था दूसरों के खेतों में जुताई करके जो भी पैसे आते थे उसे घर का खर्चा किसी तरह चल रहा था, लेकिन एक अच्छी बात उनके परिवार की थे कि वे लोग संतुष्ट थे/ और उनका बेटा पढ़ने में बहुत अच्छा था वही उस परिवार की एक उम्मीद थी कि बड़ा होकर पढ़ लिख के उनके बदहाली को दूर करेगा इसी क्रम में दिन बढ़ता जा रहा था एक रात की बात है उस दिन बहुत घनघोर बारिश थी चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था हर तरफ सिर्फ और सिर्फ पानी ही दिखाई दे रहा था अचानक रात को किसान उठा और उसने देखा कि उसका एक बैल जगह पर नहीं है किसान बहुत चिंतित हो गया उसने यह बात परिवार में बताई तो उसका बेटा बोला कि पिताजी आप चिंता ना करें मैं जा कर देखता हूं उसने टॉर्च और छाता उठाया और उस बारिश में बाहर निकल गया काल को कुछ और ही मंजूर था आगे बिजली के खंभे का तार टूट कर पानी में गिरा हुआ था अचानक बच्चे का पैर उस तार पर पड़ा और वह बच्चा कुछ ही समय में काल के गाल में समा गया उसकी चीखें इतनी भयंकर थी कि सारे गांव के लोग इकट्ठा हो गए पूरे गांव के लोग मूर्ति बने देखते रहे कोई कुछ भी करने में असमर्थ था कुछ ही पलों में वह बच्चा जलकर खाक हो गया किसान और किसान की पत्नी का रो-रो के बुरा हाल था पूरे गांव के लोग भी रो रहे थे क्योंकि वही एक उम्मीद थी.लेकिन मृत्यु के सामने किसकी चली है


धन्यवाद

सत्येंद्र पाण्डेय 'शिल्प'

गोंडा उत्तरप्रदेश



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