कान्हा कान्हा बोल रही हूँ - रेनुका सिंह

 कान्हा कान्हा बोल रही हूँ 

 मैं तो तेरी राधा रे 

 

 मन मे तो बस तू बसता है 

 औऱ न कोई भाता रे 

 गोकुल की गलियों में डोले 

 तू तो मेरा कान्हा रे 

 

कान्हा कान्हा बोल रही हूं 

मैं तो तेरी राधा रे


नंद के आंगन में डोले 

तू तो है नन्दलाल रे 

गोपियों के संग बृज में डोले 

उनका प्यारा कान्हा रे 


कान्हा कान्हा  बोल रही हूं

मैं तो  तेरी राधा रे



यशोदा की गोद मे खेले 

माखन मिश्री में मन डोले

बलदाऊ का छोटा भ्राता 

तू तो बृज का उजाला रे 


कान्हा कान्हा बोल रही हूं

मैं तो  तेरी राधा रे


मटकी फोड़े छेड़े सबको 

नटखट नन्द को लाला रे

गोकुल की गलियों में डोले

गायों का रखवाला रे


कान्हा कान्हा बोल रही हूं

मैं तो तेरी राधा रे


      रेनुका सिंह 

      गाज़ियाबाद



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