संस्कार के बीज बो अपनी शरण में लिया
नमन करती हूँ उन्हें जिन्होंने मुझे ज्ञान दिया
गलतियों पर डांटा कभी तो प्यार से समझाया
अच्छे बुरे की हो पहचान इस काबिल बनाया
मान है मुझको अभिमान है अपने गुरू की विद्या पे
आज सामने हूँ आपके उनके तप के फल से
कर्म को बोझ नहीं कर्तव्य ही जिन्होंने जाना
निजहित कभी देखा नहीं परहित
ही सर्वोपरि माना
ऋणी हूँ उनकी कृपा का कैसे मैं बखान करूँ
नित नित ही उन्हें कोटि कोटि प्रणाम करूँ
नीलम शर्मा
विकासनगर, देहरादून,उत्तराखंड 248198
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