गौरव है हिन्दी से मेरा , इससे ही है मेरी पहचान ।
भारत माँ के भाल की बिन्दी , मेरी हिन्दी मेरी शान ।।
साधक साधन साध्य , ये तीनों एक साथ जब होते ।
भक्त भक्ति भगवान , ज्ञान लो मन मालिन्य को धोते ।।
पावन मन भावन मानुष के , हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ।.............१
भारत माँ के भाल की बिन्दी , मेरी हिन्दी मेरी शान ।..........
नही सपूत भारत माँ के जो , प्यार न इससे करते ।
शब्द शब्द में मधुरस है , साहित्यिक निर्झर झरते ।।
नर की क्या है देव तरसते , मेरे भाग्य लिखो भगवान ।..............२
भारत माँ के भाल की बिन्दी , मेरी हिन्दी मेरी शान ।......
राजेश तिवारी "मक्खन"
झांसी उ प्र
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