प्रत्येक वह शिक्षक है गौरवशाली,
जो सींचता भविष्य को बन माली ।
जो हाथ पकड़कर राह दिखाता ,
तम हर ज्ञान का प्रकाश फैलाता ।
पुस्तकीय ज्ञान तक नहीं वह सीमित ,
वह तो जीवन के गूढ़ रहस्य बताता ।
संस्कारों को वही रखता है जीवित ,
सत्य-पथ से वह विचलित न होता ।
वर्तमान निखार कर भविष्य सँवारे ,
कुमार्ग पर चलने से शिष्यों को बचाता ।
उसे शिष्य होते हैं बहुत ही प्यारे,
इसलिए उनकी त्रुटियों को है सुधारता ।
शिष्यों की सफलता में ख़ुश होता,
उनकी हार पर वह भी पछताता ।
कठिन मार्ग पर चलना सिखाता,
भाग्यवादी नहीं पुरुषार्थी बनाता ।
अपने सुख-दुःख को भुलाकर ,
बच्चों के संग बच्चा बन जाता ।
उनके हित के लिए ही अक्सर ,
वह अपना विकट रूप दिखाता ।
शिष्य रूपी फूलों को खिलता देख ,
शिक्षक का हृदय आनंद से है भरता ।
सिखाता, पढ़ाता ही नहीं शिक्षक,
वह छात्रों को नित प्रेरित भी है करता ।
माता-पिता के तुल्य हैं शिक्षक ,
हैं ये हमारे भविष्य के संरक्षक ।
निःसंदेह है वह शिक्षक गौरवशाली,
जो माली बन सींचता भविष्य की डाली ।
- सीमा रानी मिश्रा
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