हिंदी दिवस पर एकांकी
कक्षा का दृश्य -
शिक्षिका - सुप्रभात बच्चों ।
बच्चे- सुप्रभात शिक्षिका ।
शिक्षिका- बच्चों कल मैंने आपको भाषा से सम्बंधित कुछ जानकारी प्रदान की थी । आपने मातृभाषा, राजभाषा, राष्ट्रभाषा आदि के विषय में जानकारी प्राप्त की । यदि किसी को कुछ पूछना हो तो पूछिए ।
छात्रा - शिक्षिका जी मैं यह जानना चाहती हूँ कि हमारे देश की राष्ट्रभाषा क्या है ?
शिक्षिका- बच्चों यूँ तो हमारे देश में 22 भाषाएँ बोली जाती है किंतु किसी भाषा को राष्ट्रभाषा की मान्यता नहीं दी गई है ।
छात्रा -पर शिक्षिका जी आपने तो बताया था कि जो भाषा देश के अधिकतर लोगों के द्वारा बोली और समझी जाती है उसे राष्ट्रभाषा कहते हैं और हमारे देश के अधिकांश लोग हिंदी भाषा ही बोलते हैं फिर भी हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा क्यों नहीं है ?
शिक्षिका-जैसा कि मैंने बताया14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को हमारी राजभाषा बनाया था। इसके साथ ही हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए महात्मा गांधी से लेकर जवाहरलाल नेहरू तक ने मुहिम चलाई, लेकिन वह सफल नहीं हो पाई। बच्चों इसके राष्ट्रभाषा न बनने के पीछे कई राजनीतिक कारण हैं।
छात्रा- क्या आप एक उदाहरण दे सकती हैं?
शिक्षिका- बिलकुल ।
छात्रा- शिक्षिका मैं कुछ बताऊँ ?
शिक्षिका- बोलो बेटा ।
छात्रा- मैंने कहीं पढ़ा था कि जब1965 में जब हिंदी को सभी जगहों पर आवश्यक बना दिया गया तो तमिलनाडु में हिंसक आंदोलन हुए। उनका कहना था कि यहां के लोग हिंदी नहीं जानते है इसलिए उसे राष्ट्रभाषा नहीं बनाया जा सकता।
शिक्षिका-यह सच है । आज भी दक्षिण और पूर्वी भारत के राज्यों में हिंदी कम बोली जाती हैं। भारत के 20 राज्यों में हिंदी बोलने वाले लोग बहुत कम हैं। बच्चों भारत की कोई राष्ट्रभाषा नहीं है क्योंकि भारत में ढेरों भाषा बोली जाती है और सरकार ने देश की एकता और अखंडता को ध्यान रखते हुए हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा नहीं बल्कि राजभाषा बनाया।
छात्रा- शिक्षिका विश्व में प्रत्येक देश की एक राष्ट्रभाषा है । हमारे देश की कोई राष्ट्र भाषा नहीं है । क्या हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का किसी ने प्रयास नहीं किया?
शिक्षिका- आपको लोगों को यह जानकार आश्चर्य होगा कि हमारे देश के लोगों ने ही नहीं बेलजियम से आए फ़ादर कॉमील बुल्क़े ने हिंदी भाषा को समृद्ध और सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।
छात्रा -फ़ादर कॉमील बुल्क़े?? वे कौन थे ?
शिक्षिका- ये आप स्वयं ज्ञात कीजिए । अभी मैं केवल आपको उनकी एक विडीओ दिखा सकती हूँ ध्यानपूर्वक सुनना इससे सम्बंधित प्रश्न अगली कक्षा में पूछूँगी ।
विडीओ चलाया जाता है -
शिक्षिका- आपके मन में कोई प्रश्न है तो पूछ सकते हैं ।
छात्रा- मुझे समझ ही नहीं आ रहा कि हम हिंदी दिवस मानते क्यों हैं ?
शिक्षिका- हँसते हुए ठीक है फिर से सुनो । 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी हिन्दी को अंग्रेजी के साथ राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया। बाद में जवाहरलाल नेहरू सरकार ने इस ऐतिहासिक दिन के महत्व को देखते हुए हर साल 14 सितंबर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। और पहला आधिकारिक हिन्दी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था। स्पष्ट है?
छात्रा- शिक्षिका फिर तो हमें इस दिवस को उत्सव के रूप में मानना चाहिए ।
शिक्षिका- बिलकुल , आइए इस अवसर पर कुछ बच्चों द्वारा तैयार किए गए नृत्य का आनंद लीजिए और जिस गाने पर यह नृत्य तैयार किया गया है उसे भी हमारे विद्यालय की छात्राओ ने ही गाया भी है ।
और अंत में एक छोटा सा नृत्य
हिंदी की चली है लहर,
आओ मिलकर ख़ुशियाँ मनाएँ ।
चाहे गाँव हो या शहर ,
हिंदी प्रेम की नादिया बहाए ।
मन के हर भाव को समझे ,
प्रेम से सबको गले लगाए ।
किसी भाषा से द्वेष न रखे ,
सबको हिंदी अपना बनाए ।
इसका मान बढ़ाना है ,
भारत की यह शान है ।
जग को यह दिखाना है ,
अनूठी अपनी पहचान है ।
जय हिंद , जय हिंदी
सीमा रानी मिश्रा
हिसार चण्डीगढ़
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