शुभकामनाएं अब ले ही लीजिये-रेनुका सिंह

आज भी हमारी हिंदी संघर्ष कर रही है क्यों कि उसे वो स्थान नही मिला जिसकी वो हक़दार है । सबसे बड़े दुख की बात तो यह है कि उसे अभी तक राष्ट्रभाषा का स्थान क्यों नही मिला ? लोगो का कहना है कि हिंदी दिवस  मनाने का क्या औचित्य है जब हर तरफ अंग्रेज़ी का बोलबाला है । पर औचित्य तो है इसी बहाने बहुत सारे गड़े मुर्दे उखड़ जाते है । हम हिंदी हिंदी का नारा खूब लगाते हैहिंदी हिंदुस्तान में सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली बोली है फिर भी दोयम दर्ज़े पर है।  जो जगह यहाँ अंग्रेजी को मिली है वो हिंदी को नही मिल पायी ।तो सिर्फ नारा न लगाएं सिर्फ एक दिन हिंदी दिवस मनाने की जगह पूरे वर्ष मनाए । हिंदी को पहने हिंदी को ही ओढ़े व हिंदी को ही बिछाए। 

       तब सही मायने में हिंदी दिवस सार्थक होगा । हम सभी को प्रयास करना चाहिए कि हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा जल्द से जल्द मिले ।   हिंदी दिवस की शुभकामनाएं अब ले ही लीजिये ।



         जय हिंद  जय हिंदी 


            रेनुका सिंह 

            गाज़ियाबाद

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