बाँसुरी की तान-रमा वर्मा

 है विनय इतनी सुना दो बाँसुरी की तान मोहन

भक्ति का अपनी करादो आज अमृत पान मोहन

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कामना सारी मिटा कर

मन मेरा निष्काम कर दो

नित रहूँ तेरी शरण में

यूँ सुपावन धाम कर दो 

मेरे अधरों पर रहे हरदम तेरा गुणगान मोहन 

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गोपियों का चैन छीने

नैन रतनारे तुम्हारे

मुख पे घुँघराली लटें

घन जैसे अम्बर में हो कारे

काछनी सोहे कमर में, अधरों पे मुस्कान मोहन

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रंग तेरे ही रंगू

दूजा न कोई रंग भावै

चढ़ गई कैसी खुमारी

नाम बस तेरा सुहावै

ये जगत नश्वर है सारा हो गया है भान मोहन

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मैं न राधा मैं न मीरा

बन सकी ये जानती हूँ

प्रीत मेरी फिर भी उनसे

कम नहीं ये मानती हूँ

प्रेम का पथ है कठिन कर दो इसे आसान मोहन

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है विनय इतनी सुनादो बाँसुरी की तान मोहन

भक्ति का अपनी करादो आज अमृत पान मोहन


रमा प्रवीर वर्मा

नागपुर, महाराष्‍ट्र



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