आखिर आत्महत्या क्यों-सन्नी

दिन  व  दिन  आत्महत्याएं रफ़्तार की गति से बढ़ती जा रही है कारण हज़ारों है और मौत की गिरफ्त  में  खुदकुशी का शिकार होने वाले लाखों जब वह इंसान जिंदगी से हार मान कर मौत को गले लगाने की सोच रहा होगा तो  वह किस अवस्था,  से गुजर रहा होगा  उसकी मनोदशा कितनी ही पीड़ा दायक होगी इसका आंकलन करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है ! इस तरह की घटनाएं होने के बाद लोगों की आपसी बातचीत  इतने ही गुस्से में था तो कहीं चला जाता कुछ दिनों के लिए  वगैरह ,वगैरह।
मैं किसी को गलत नहीं कह रहीं। जब कोई दूसरा किसी तकलीफ  या बिपरीत  परिस्थितियों में होता है तो उसे हम तरह-तरह के सलाह-मशविरा देते हैं   वहीं जब बात खुद पर आती है तो दिमाग भन्ना  उठता है। जरा सोचिए  जिस समय  वह उस मनोदशा से गुजर रहा होगा उसकी स्थिति  कैसी होगी क्योंकि  उस क्षण वह दबाव ,उलझन  न जाने कितनी संवेदनाओं   से घिरा होगा  जिसके कारण उसके सोचने समझने की क्षमता खत्म हो जाती हैं  ऐसे कई लोग आपके आस-पास  होंगे  जो दूसरों को मशविरा देकर  खुद वहीं कदम उठा बैठते हैं ! क्योंकि उस समय हम वास्तविकता से परे  हालातों से टूटे हुए होते हैं लेकिन जब बात  दूसरो  की होती है तो ठीक इसके विपरीत।
लेकिन एक सच्चाई ।
जाने वाले  चले गये लेकिन उसके पीछे?
अगर किसी  की  माँ ने ऐसा किया तो उसके बच्चे की सबसे बड़ी जिल्लत  उनके सामने पेट भरने के लिए रोटी तो डाल दी जाती है कभी इधर से कभी उधर से लेकिन माँ जैसी दुलार प्यार से खिलाने वाला हाथ नहीं होता और अन्य बाते जिससे सभी परिचित हैं।
अगर किसी के पिता ने ऐसा किया  तो उन बच्चो की परवरिश जैसी होनी है एक माँ हर परिस्थिति से लड़कर करेगी लेकिन उस घर पर दुनिया की गिद्ध भरी नजरे  टिकी रहेंगी तरह-तरह के लान्छन गिरी नियत ,सोच  मजबूरी का फायदा उठाने वालों से  वह घर घिरा होगा !आपकी  कितनी ही अत्यंत  तकलीफ पीड़ा हो सामने वाला चाहे कितना ही करीबी, अपना हो जो बेचैनी आप महसूस कर रहे हैं वो कर ही नहीं सकता  कभी भी नहीं य़ह एक कटु सत्य है। लेकिन इस तरह के कदम उठाने से पहले  एक बार पिछे  मुड़  उन चेहरों और आपकी तरफ बढ़ी हाथो को  जरूर  देख लीजियेगा वो  मंजर  की  झलक आपको दिख जायगी !!!
निःशब्द हूँ।
सन्नी कुमारी
पटना, बिहार

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