जिंदगी तुम मेरी जिंदगानी हुई।
मेरे जीवन की अद्भुत कहानी हुई।।
पत्थरों की तरह हम पिघलते गए।
इस नए फलसफे की रवानी हुई।।
मैंने थामा लरजते हुए हाथ जब।
आंख उनकी झुकी पानी पानी हुई।।
मैंने अपने कदम को न रुकने दिया।
बीती राहों की बातें पुरानी हुई ।।
महफिलों की चिरागें भी स्तब्ध हैं।
हम जले शाम हमसे सुहानी हुई।।
इस नए दौर के साथ हम चल पड़े।
सारी दुनिया हमारी दीवानी हुई।।
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