बस चलते रहना
रूकना नहीं बस चलते रहना ,
जीवन की यही है शान I
जो रूक जाते है बीच राह में ,
चुक जाते है वो बनने से महान I
रूका पानी सड़ जाता है ,
रूकी मशीन में लग जाती जंग I
आलस ऐसा रोग है ,
लगे जिसे सड़ने लगता उसका अंग I
मेहनत और नित कर्म से ,
जीवन बन जाता है योग I
लक्ष्य को अपने पाकर मानव ,
सफलता को हर पल लेता भोग I
भाग्य भरोसे क्यों बैठा है ,
कर कर्म निरंतर तू I
अपनी ही भुज की शक्ति से ,
पाले अपनी मंजिल तू I
बन विधाता लिख ले अपना भाग्य ,
हो धन्य विधाता भी अपनी रचना पर I
पा जाये तू वरदान ऐसा ,
नाम इतिहास में तेरा हो जाये अमर I
Manju Rai Sharma , mumbai
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