आओ मिलकर जश्न-ए-आजादी मनाएं-राघवेंद्र

 आओ मिलकर जश्न-ए-आजादी मनाएं।

अपनी भारत माँ को दुल्हन सा सजाएं।।


एक दूजे की पकड़ कर बाँह फिर से।

झूम  कर  हम  एकता  के  गीत  गाएं।।


देश  भक्ती  के  नशे  में  चूर  हो कर।

आपसी रंजिश को अपनी भूल जाएं।।


प्यार पालें दिलों में नफ़रत भुलाकर।

विश्व को हम शांति का रस्ता दिखाएं।।


छोड़ कर ये आधुनिक झूठा दिखावा।

फिर से अपनी सभ्यता में लौट आएं।।


नफ़रतों  की  बू  से दुनिया भर गई है।

आओ 'रघुवंशी' अमन का गुल खिलाएं।।

~ राघवेंद्र सिंह 'रघुवंशी'



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