बसंत विशेष
बसंत ऋतु की आयी नई बहार है,
घर आंगन में आयी खुशी अपार है।
नाचे झुमे गाये देखो सब संसार है,
आमों के पेड़ों पर देखो आयी मंजर है।
सरसों के फूल देखो सोने चमकते हैं।
सुन्दर सा दिखता फूलों का शहर है।
बन दुल्हन प्रकृति ढा देखो रही कहर है
पुष्पों पर मंडराते गुंजन करते भ्रमर है।
कोयल कू कू करके देती मीठे स्वर हैं,
मां सरस्वती की पूजा होती घर घर है।
त थया कर नाचे कैसे देखो मयूर है,
पक्षी करते मीठे मीठे देखो झंकार है।
बसंत ऋतु की आयी नई बहार है,
धारणी ने किये इन्द्रधनुष के श्रृंगार है।
पतझड़ में आ जाती नई बहार है,
मानों बसंत ऋतु देती कोई उपहार है।
बसंत ऋतु की आयी नई बहार है।।
कुमारी गुड़िया गौतम जलगांव महाराष्ट्र
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