बस चलते रहना-मंजु



रूकना नहीं  बस चलते  रहना  ,

जीवन की यही  है शान  I 

जो रूक  जाते है  बीच  राह  में  ,

चुक  जाते है  वो बनने  से महान  I 


रूका  पानी  सड़  जाता है  ,

रूकी  मशिन में  लग जाती जंग  I 

आलस ऐसा  रोग  है  ,

लगे  जिसे सड़ने लगता उसका  अंग  I 


मेहनत  और  नीत  कर्म  से ,

जीवन  बन  जाता  है  योग  I 

लक्ष्य को अपने पाकर  मानव  ,

सफलता  को हर पल  लेता  भोग  I 


भाग्य  भरोसे  क्यों  बैठा  है  ,

कर  कर्म  निरंतर  तू  I 

अपनी  ही भुज  की शक्ति  से ,

पाले  अपनी  मंजील  तू  I 


बन  विधाता  लिख  ले  अपना  भाग्य  ,

हो धन्य विधाता भी अपनी रचना  पर  I 

पा  जाये  तू  वरदान  ऐसा  ,

नाम  इतिहास  में  तेरा  हो जाये  अमर I 


®️©️✍Manju Rai sharma 

Mumbai,  Maharashtra



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