आने वाला है बसन्त -सरला

बसंत विशेष 


मुरझाये से मन होंगे हर्षित 
वन फूलों से भर जायेगा ।
आम्रबौर का रस पी पीकर
 भँवरों का समूह हर्षायेगा। 

आने ही वाला है अब बसंत
अम्बर व धरा मुस्काने लगे।
हैं सप्त राग कानों में बजते 
पवन भी गीत सुनाने  लगे।
चाँद चाँदनी पर मोहित जग
द्वि छवि सबको ही भायेगा।

फूलों की गलियों में कान्हा
राधा की छवि यमुना तीरे।
दोनों की छवि मनमें गढ़के
पायेंगे कवि शब्दों के हीरे।
कान्हा और राधे की भक्ति
मनमें वह सबके जगायेगा। 

कोयल कू कू कर डोलेगी
पशु-पक्षी सब होंगे मुदित। 
मौसम छोड़ेगा शीत वसन
सूरज की किरणें प्रमुदित। 
आम्रबौर का रस पी पीकर
 भँवरों का समूह हर्षायेगा। 

डाॅ सरला सिंह "स्निग्धा"
      दिल्ली



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