गुलाब दिवस की दास्ताँ
एक ऐसा दिन जब हाथों में गुलाब लिए ,
प्रेमी-प्रेमिका अपने प्रेम को दर्शाते हैं ।
गुलाब की ताज़गी से ही देखिए ,
वे अपने रिश्तों को प्रगाढ़ बनाते हैं ।
पर ये विवाह से पहले के जाल हैं,
विवाहित जोडों का ऐसा नहीं हाल है ।
यहाँ तो गुलाब के फूल से अधिक ,
गोभी के फूल की माँग होती है ।
गुलाब के फूल जनाब ले भी आएँ तो ,
बच्चे उसे चूहों की तरह कुतर जाते हैं ।
फिर मुख से यही निकलता है ,
आप क्यों ये गुलाब ले आते हैं ।
बिना कसूर भी अपनी ग़लती समझ,
फूल न लाने की वे क़सम खाते हैं ।
उनकी उतरी सूरत मुझे नहीं भाती ,
फिर महसूस होती है अपनी ग़लती ।
गुलाबी साड़ी में सज कर अक्सर,
फिर मैं ही गुलाब-सी खिल जाती हूँ ।
उनके उदास होंठों पर मानो,
मुस्कान बन बिखर जाती हूँ ।
हम दोनों ही यह समझते हैं,
एक दूजे के हृदय में रहते हैं ।
कितना भी सुंदर गुलाब हो ,
वह तो मुरझा ही जाएगा ।
पर दिल में बसा प्यार यारों,
ज़िंदगी को सदा महकाएगा ।
-सीमा रानी मिश्रा
प्रपोज डे दिवस
मेरे प्रेम को स्वीकार कर लो ,
ज़िंदगी अपनी मेरे नाम कर दो ।
शायद ऐसे ही प्यारे भाव लिए ,
प्रस्ताव-दिवस लोग मनाते हैं ।
यदि मान जाए तो ठीक ,
अन्यथा चेहरे जला दिए जाते हैं ।
प्रेम कोई सौदा नहीं पर,
ये बात सब नहीं समझ पाते हैं ।
जिसे तुम चाहो वह भी तुम्हें चाहे ,
प्रेम में ऐसी शर्त नहीं होती ।
मन के भाव बताने से न डरो ,
अपने इश्क़ का इजहार करो ।
पर इकरार गर न हो तो ,
इश्क़ को बदनाम न करो ।
समर्पण और त्याग की भावना से ,
प्यार के जहाँ को रोशन कर दो ।
-सीमा रानी मिश्रा
चौकलेट दिवस
प्रेम में तो यूँ ही मिठास ही मिठास है,
फिर भी प्रेमियों से चौकलेट की आस है ।
सखी की चौकलेट अगर ज़्यादा बढ़िया है,
तो चौकलेट पाने के बाद भी कोई निराश है ।
बात यहाँ ख़त्म नहीं होती समझ लो अब तो ,
किसी महायुद्ध की होने वाली शुरुआत है ।
प्रेम की झिड़कियाँ रूठना मनाना नहीं भाइयों ,
अब तो पूछा जाएगा, बस यही तुम्हारी औक़ात है ?
चौकलेट के रंग-रूप-आकार पर आधारित,
बस होने लगती फिर प्रश्नों की बौछार है ।
आज बता ही दो यही प्यार है तुम्हारा ?
ऐसे ही लगाओगे तुम जीवन को किनारा ?
इतने कंजूस निकलोगे मैंने तो सोचा नहीं था ,
तुमसे अच्छा तो मेरा वह प्रेमी पहले वाला था ।
जो भाव को न समझे उसे दूर से सलाम करो,
ऐसे व्यापारियों से दिलवालों तुम तो दूर रहो ।
रिश्तों में प्रेम की मिठास बढ़ते जाए तो प्यार,
नहीं तो बस मोह-माया से भरा यह दिखावटी संसार ।
-सीमा रानी मिश्रा
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