स्वरचित कविता
शीर्षक- *।
जय जय जय भोले भंडारी ,
जय जय जय भोले भंडारी ।
तेरी महिमा सबसे न्यारी ,
तेरी महिमा सबसे न्यारी ।
तुम हो बाबा औघड़ दानी,
तन में अपने भस्म रमानी ।
घट-घट के तुम हो वासी ,
तन पर भस्मी हो सन्यासी।
गांजा,भंग,धतूरा तुम्हें भाये ,
महिमा तुम्हारी ये जग गाये ।
गले में अपने गरल को धारे ,
दैत्य-दानवों को तुम संहारे ।
तीन लोक के पालनहारे ,
दीन-दुखियों के हो सहारे ।
गले में करिया नाग बिराजे ,
डमडम-डमडम डमरू बाजे ।
शिव भोले है नाम तिहारो,
जग में उत्तम अति प्यारो ।
भोले तेरी महिमा अपार ,
तुम्ही से चलता है संसार।
भक्त बनी है कृष्णा थारी ,
जय जय जय भोला भंडारी ।
कृष्णा जोशी
इन्दौर मध्यप्रदेश।
8889882779
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