रोहित की लघुक‍थाएं

रवि अपनी माँ के पास लेटे हुए ही बाते कर रहा था। रवि अपनी माँ से बोला माँ मेरी किस्मत में कुछ अच्छा लिखा नही है। आये दिन कंपटीशन की परिक्षा ही टल जा रही है। आजकल तो कोई भी बैकेंसी की परिक्षा की प्रक्रिया चार - पाँच साल से पहले पूरी होती ही नही है। आजकल तो हर बैकेंसी पंचवर्षीय योजना हो गई है। प्राइवेट काम भी नही देख सकता, क्योंकि कार दुर्घटना के बाद विकलांग हो गया हूँ।


रवि की माँ - फिर भी हिम्मत न हारो, अगर सरकारी नौकरी में कोई संभावना नही दिख रही है, तो कुछ दूसरा देखो।

रवि - कहाँ माँ प्राइवेट में मुझे कोई काम देगा, पहले भी कर्ई जगह काम करवाकर पैसे नही देते थे, अब तो मेरे विकलांगता का और भी फायदा उठा सकते है। दो साल और सरकारी बैकेंसी भर सकता हूँ, तब तक प्रयास जारी रखता हूँ, ताकि बाद में ये पछतावा न हो कि दो साल और मेहनत किए होते तो सरकारी नौकरी मिल जाती। अपना प्रयास जारी रखता हूँ ताकि भगवान को भी ये कहने का अवसर न मिले कि तुमने मेहनत की होती तो फल अवश्य देता। 
मैं उनको ये मौका नही देना चाहता हूँ, बल्कि सफलता न मिलने पर मैं उनसे ये बोल सकू कि मैने तो अपनी तरफ से पूरी मेहनत की पर आपने ही मुझे उचित फल नही दिया।


विषय- मन का भय

आज राहुल बहुत खुश था। उसने जो सरकारी नौकरी की पहली परिक्षा पास कर ली थी। अब उसके सामने दूसरी परिक्षा पास करने की चुनौती थी। वैसे तो दूसरी परिक्षा, पहली परिक्षा के मुकाबले अधिक चुनौतीपूर्ण नही थी, फिर भी उसमें अलग - अलग मुद्दों पर जानकारी रखनी थी। जिसे निबंध के माध्यम से परिक्षा में लिखना था।
राहुल ने फैसला किया कि वह दूसरी परिक्षा पास करने के लिए भी जी-तोड़ मेहनत करेगा।
उसने अलग- अलग मुद्दों पर निबंधन पढ़ना शुरु कर दिया। यानि सामाजिक, आर्थिक आदि मुद्दों की जानकारी ली, पर अब क्या ?
अब उसके दिमाग में ये बात आई कि जिन मुद्दो के बारे में जानकारी ले रहा है, उनको बिना देखे लिखकर देखा जाए कि कितनी बाते जेहन में उतरी है।
पर जैसे ही लिखने की बात आती तो उसके मन में एक अजीब सा डर बैठ जाता कि मुद्दों के कर्ई टापिक लिखते समय छूट भी सकते है।
फिर उसी की अंतरआत्म बोलती है - डर क्यो रहे हो ? अगर कोई टापिक छूटेगा ,तब ही तो मालूम होगा कि तुम्हारी तैयारी कितनी हुई है ? परिक्षा के पहले अभ्यास के जरिए ही अपनी कमियाँ जान सकते हो।
अंतरआत्मा के इस वार्तालाप के बाद ही उसके मन का डर खत्म हुआ और वह पुनः अपने अभ्यास में जुट गया।

रोहित मिश्र, प्रयागराज


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