बेबड़ा संघ बनाईये - पागल

 दो परिचित बेवड़े सड़क के किनारे पी रहे थे।

अलमस्त दिन में जैसे कोई सपना जी रहे थे।।

हमने कहा आप लोग बच्चों पर थोड़ा ध्यान दीजिए। ।                    

आजकल शिक्षा ही उन्नति का साधन है जान लीजिए ।।                

एक ने कहा मास्साब मेरा मुंह न खुलवाइये।                                   

जहाँ जाते हो कृपा करके चुपचाप जाइये।।

हमारे बच्चे तो कहीं भी मजदूरी करेंगे,कमाएंगे खाएंगे।

हमने छोड़ दी तो तुम्हारे बच्चे अवश्य भूखे मर जायेंगे।।

देश की अर्थव्यवस्था में हमारा कितना बड़ा योगदान है?

हमारी वजह से ही आप जैसों की जिंदगी वरदान है।।

मदिरा तो समुद्र मंथन से निकले चौदह रत्नों में एक है।

ड्रिंक तो आप भी करते हैं किन्तु आप तथाकथित नेक हैं।।

हम अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई से दारू लाते हैं।

आप तो रोज हमें यहीं दिखते हैं!स्कूल कब जाते हैं।।

उसकी बेबाक बातों में माना बड़ी कडुवाहट  थी।

किन्तु अब एक कवि के हृदय में अकुलाहट थी।।

जब पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ती हैं।

प्याज की वजह से लोगों की आंखें जलती हैं।।

राजनैतिक पार्टियां सड़क पर उतरती हैं।।

टीवी से लेकर ट्रेनों तक डिबेट्स चलती है।।

किन्तु इस वर्ग का ख्याल कभी किसी को नहीं आता है।                                   

जैसे वे भारत नही वरन किसी दूसरे देश के मतदाता हैं।।


इनकी देश में कितनी बड़ी आबादी है?

फिर भी बेचारे ज़ुल्म सहने के आदी हैं।।

सरकार शराबियों पर कितना जुल्म ढा रही है।।

जब जितनी चाहे पौवे की कीमत बढ़ा रही है।।

उसके बाद ये ठेके वालों का सितम झेलते हैं।

जो कि एक पौवे में चौथाई पानी पेलते हैं।।

किन्तु कभी कोई धरना-प्रदर्शन नहीं।

कभी किसी नेता को कोई ज्ञापन नहीं।।

लॉक डाउन में बेईमानों ने इनका कितना शोषण किया है।

इन लतमारों ने अस्सी रुपये का पौवे दो सौ में लिया है।।

 जैसे बेचारे जुएँ में द्रोपदी हारे     पांडव हैं।

सहिष्णुतम होने से ही झेलते कौरवी तांडव है।।

बहुत नाइंसाफी है भाई।

और इसकी एक ही है दवाई।।

चूंकि इन के द्वारा अब तक कोई संघ नहीं बनाया गया है।

इसीलिए इनकी समस्याओं पर गौर नहीं फ़रमाया गया है।।


आर बी शर्मा पागल हतदोई




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