ना सिर्फ रोटी, कपड़ा, मकान,,2
उनके लिए सर्वोच्च था स्वाभिमान..
शौर्य और पराक्रम का पर्याय,
सम्पुर्ण राष्ट्र को उन पर था अभिमान...
सुरज सा तेज था उनके भाल पर,,2
अकबर का सिहांसन डोल उठता था एक हूंकार पर..
ऐसे वीर योद्धा को अपरम्पार वन्दना है,,2
जिनको पा कर धन्य हुई यह धरा उन "महाराणा प्रताप" को बारम्बार नमन है...!
उपरोक्त पंक्तियां स्वरचित हैं
- कवि अभिषेक सोलंकी
गांव बडवन जिला मंदसौर (म.प्र)
9770465915
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