होली गीत



रंगों का त्यौहार है होली 
प्रेम पगी मलहार है होली 

बचपन लौट आया है  फिर से 
ऐसा है उल्लास ये होली 

गलियों और नुक्कड पर बच्चे 
टोली-टोली घूम रहे हैं 

सबको रंग दे एक ही रंग में 
ऐसा फागुन मास है होली

ना कोई  छोटा और  बडा है 
 ना ऊंचा और  नीचा है 

सबको कर दे एक ही जैसा 
एसा पावन धाम है होली

भक्त प्रहलाद की गाथा सुनकर 
मन भावों में भर दे भक्ति

 असंभव को संभव कर जाये 
ऐसा  भाव हमें सिखलाये 

भक्ति में होती है शक्ति 
ऐसा भक्ति धाम है होली 

कहती सुमन है ये आज सभी से 
बच्चों को दो ये शिक्षा दिल से 

नारी सम्मान भरो तुम उनमें 
तभी रुकेंगे अपराध ये जग से 

होली खेलो तुम  संभलकर 
बुरा ना लगे किसी को समझकर 

हम सब हैं यहां भाई भाई 
हिंदु मुस्लिम, सिख,इसाई 

सबका मालिक एक हुआ है 
सीख हमें ये देती होली 

ऐसा पावन धाम है होली 
प्रेम पगी मलहार है होली 

तेरा मेरा सबका अपना 
जो बन जाऐ एक ही जैसा 

ऐसा सुर संसार है होली 
गीता और कुरान है होली

अनीता मीना कटकड 
व्याख्याता सीनियर सैकेंड्री स्कूल बरगमा
 हिंडौन सिटी जिला करौली 


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