प्रिया का मंगेतर सचिन आकर्षक व्यक्तित्व वाला , मल्टी नेशनल कंपनी में ऊँचे ओहदे पर एक सुंदर सजीला नौजवान था। प्रिया के विवाह के दिन जैसे जैसे नजदीक आते जा रहे थे। उतना ही प्रिया उदास रहने लगी थी। सचिन जब भी प्रिया से उसकी उदासी का कारण पूछता तो हँस के टाल देती। उसे उदास और गुमसुम देख उसकी माँ भी परेशान थी। प्रिया को माँ से बेहद लगाव था , उसके पिता तो बचपन में ही गुजर गए , उसे तो उनका चेहरा तक याद नहीं था। प्रिया माँ को कभी अकेला नहीं छोड़ती , दिन -रात साये की तरह माँ का ख्याल रखती। उसे बस यही चिंता सताए जा रही थी कि मेरे जाने के बाद माँ का क्या होगा ?
प्रिया की उदासी सचिन को बैचेन कर रही थी , इसलिए विवाह के ठीक चार दिन पहले सचिन ने घर जाकर प्रिया की माँ से उसकी उदासी का कारण जानना चाहा , उस वक्त माँ ने सिर्फ यही कहा कि-" पहली बार मुझे छोड़ कर जा रही है न बस, इसलिए ही उदास है। बेटा, तुम चिंता न करो , मैं उसे समझा दूंगी।" अब सचिन ने सुकून की साँस ली , उसने तो पता नहीं क्या क्या सोच लिया था। परंतु वहाँ से लौटते हुए उसने एक महत्वपूर्ण निर्णय ले लिया।
विवाह के दिन फेरे के ठीक पहले सचिन ने प्रिया की माँ से कहा , माँ आप भी प्रिया के साथ उसके अपने घर ही रहेंगी। वो घर अब आपका भी है। आप हां कहेंगी , तब ही फेरे होंगे। प्रिया की आंखो से आंसुओ की धारा बह निकली और वह दौड़कर माँ के गले लग गयी। माँ के हाँ कहने पर सचिन और प्रिया जीवन भर के गठबंधन में बंध गये। भीगी आँखों से अपने पति सचिन की ओर देख कर मन ही मन नतमस्तक थी। साथ ही आज अपने भाग्य पर इतरा उठी थी।
विवाह के दिन फेरे के ठीक पहले सचिन ने प्रिया की माँ से कहा , माँ आप भी प्रिया के साथ उसके अपने घर ही रहेंगी। वो घर अब आपका भी है। आप हां कहेंगी , तब ही फेरे होंगे। प्रिया की आंखो से आंसुओ की धारा बह निकली और वह दौड़कर माँ के गले लग गयी। माँ के हाँ कहने पर सचिन और प्रिया जीवन भर के गठबंधन में बंध गये। भीगी आँखों से अपने पति सचिन की ओर देख कर मन ही मन नतमस्तक थी। साथ ही आज अपने भाग्य पर इतरा उठी थी।
दीपिका पोद्दार
३०१, लखदातार अपार्टमेंट
सिलिकॉन सिटी, ए बी रोड
इंदौर -452012
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