हां...मुझे एक ऐसे हमराही की जरूरत है
जब हर कोई साथ छोड़ दे मेरा
वह मेरी परछाई बनकर साथ दे मेरा।
जब भीतर से दिल टूट जाए मेरा
वह पल भर में दिल का घाव भर दे मेरा।
हां...मुझे एक ऐसे हमराही की जरूरत है
जब चेहरा उदास हो जाए मेरा
वह बिना कहे आसानी से पढ़ ले चेहरा मेरा।
जब जमाना सुकून छीन ले मेरा
वह हौसले को बुलंद बनाए मेरा।
हां...मुझे एक ऐसे हमराही की जरूरत है
जब मन अकेलापन महसूस करें मेरा
वह "मैं हूं ना" कह कर मन को मजबूत बनाए मेरा।
जब एकरसता से मन ऊब जाए मेरा
वह नित नएं-नएं रंगों से जीवन भर दे मेरा।
हां...मुझे एक ऐसे हमराही की जरूरत है
जब खालीपन महसूस करें मन मेरा
वह ऊर्जा का अजस्र स्रोत बन जाए मेरा।
जब जिजीविषा कम हो जाए मेरी
वह फिर से जीने की चाहत जगा दे मेरी।
हां...हां...हां
मुझे एक ऐसे हमराही की जरूरत है...
मुझे एक ऐसे हमराही की जरूरत है...
मुझे एक ऐसे हमराही की जरूरत है...।
समीर उपाध्याय
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गुजरात
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